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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߥߐ߬ߞߎߟߐ ߟߎ߬   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَّاَنَّا مِنَّا الْمُسْلِمُوْنَ وَمِنَّا الْقٰسِطُوْنَ ؕ— فَمَنْ اَسْلَمَ فَاُولٰٓىِٕكَ تَحَرَّوْا رَشَدًا ۟
और यह कि हममें से कुछ लोग अल्लाह की आज्ञा का पालन करने वाले मुसलमान हैं, तथा हममें से कुछ लोग सत्य और धार्मिकता के मार्ग से हटे हुए हैं। अतः जो आज्ञापालन और अच्छे कार्य के साथ अल्लाह का आज्ञाकारी हो गया, तो वही लोग हैं, जिन्होंने हिदायत और सत्य का मार्ग अपनाया।
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وَاَمَّا الْقٰسِطُوْنَ فَكَانُوْا لِجَهَنَّمَ حَطَبًا ۟ۙ
और जहाँ तक उन लोगों की बात है, जो सत्य और धार्मिकता के मार्ग से हटे हुए हैं, तो वे लोग जहन्नम का ईंधन होंगे, जिसके द्वारा उनके जैसे इनसानों के साथ जहन्नम को भड़काया जाएगा।
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وَّاَنْ لَّوِ اسْتَقَامُوْا عَلَی الطَّرِیْقَةِ لَاَسْقَیْنٰهُمْ مَّآءً غَدَقًا ۟ۙ
जिस तरह उनकी ओर यह वह़्य की गई है कि जिन्नों के एक गिरोह ने क़ुरआन सुना, उसी तरह यह भी वह़्य की गई है कि अगर जिन्न एवं इनसान इस्लाम के रास्ते पर क़ायम रहते और उसके अनुसार कार्य करते, तो अल्लाह उन्हें भरपूर जल से सैराब करता और उन्हें विभिन्न नेमतें प्रदान करता।
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لِّنَفْتِنَهُمْ فِیْهِ ؕ— وَمَنْ یُّعْرِضْ عَنْ ذِكْرِ رَبِّهٖ یَسْلُكْهُ عَذَابًا صَعَدًا ۟ۙ
ताकि हम उसमें उनका परीक्षण करें कि वे अल्लाह की नेमत का शुक्रिया अदा करते हैं या उसकी नाशुक्री करते हैं? और जो क़ुरआन से तथा उसमें मौजूद उपदेशों से मुँह फेरेगा, उसका पालनहार उसे बड़ी कठोर यातना में दाख़िल करेगा, जिसे वह सहन नहीं कर सकेगा।
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وَّاَنَّ الْمَسٰجِدَ لِلّٰهِ فَلَا تَدْعُوْا مَعَ اللّٰهِ اَحَدًا ۟ۙ
और यह कि मस्जिदें केवल पवित्र अल्लाह के लिए हैं, किसी और की नहीं। अतः उनके अंदर अल्लाह के साथ किसी और को न पुकारो। अन्यथा तुम यहूदियों और ईसाइयों के समान हो जाओगे उनके चर्चों और मंदिरों में।
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وَّاَنَّهٗ لَمَّا قَامَ عَبْدُ اللّٰهِ یَدْعُوْهُ كَادُوْا یَكُوْنُوْنَ عَلَیْهِ لِبَدًا ۟ؕ۠
जब अल्लाह के बंदे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम 'नख़ला' नामी स्थान में अपने पालनहार की इबादत करने के लिए खड़े हुए, तो जिन्न आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के क़ुरआन के पाठ को सुनने के लिए इस तरह भीड़ लगाए हुए थे, जैसे एक-दूसरे पर चढ़े जा रहे हैं।
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قُلْ اِنَّمَاۤ اَدْعُوْا رَبِّیْ وَلَاۤ اُشْرِكُ بِهٖۤ اَحَدًا ۟
(ऐ रसूल) आप इन मुश्रिकों से कह दें : मैं केवल अपने पालनहार ही को पुकारता हूँ और इबादत में उसके साथ उसके अलावा किसी को साझी नहीं बनाता, चाहे जो भी हो।
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قُلْ اِنِّیْ لَاۤ اَمْلِكُ لَكُمْ ضَرًّا وَّلَا رَشَدًا ۟
आप उनसे कह दें : मैं तुम्हारे लिए किसी ऐसे नुक़सान को टालने का अधिकार नहीं रखता, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए नियत कर दिया हो, और न ही मैं तुम्हें कोई ऐसा लाभ पहुँचा सकता, जिसे अल्लाह ने तुमसे रोक दिया हो।
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قُلْ اِنِّیْ لَنْ یُّجِیْرَنِیْ مِنَ اللّٰهِ اَحَدٌ ۙ۬— وَّلَنْ اَجِدَ مِنْ دُوْنِهٖ مُلْتَحَدًا ۟ۙ
आप उनसे कह दें : अगर मैं अल्लाह की अवज्ञा करूँ, तो उसकी पकड़ से मुझे कोई नहीं बचा सकेगा और न मुझे उसके अलावा कोई शरण लेने का स्थान मिल सकेगा।
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اِلَّا بَلٰغًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِسٰلٰتِهٖ ؕ— وَمَنْ یَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ لَهٗ نَارَ جَهَنَّمَ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ۟ؕ
लेकिन जो कुछ मेरे अधिकार में है, वह यह है कि अल्लाह ने मुझे जो कुछ तुम्हें पहुँचाने का आदेश दिया है, वह तुम्हें पहुँचा दूँ, और उसका संदेश जिसके साथ उसने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। और जो अल्लाह तथा उसके रसूल की अवज्ञा करेगा, उसका अंजाम जहन्नम में प्रवेश है, जहाँ वह हमेशा रहेगा, उससे वह कभी भी नहीं निकलेगा।
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حَتّٰۤی اِذَا رَاَوْا مَا یُوْعَدُوْنَ فَسَیَعْلَمُوْنَ مَنْ اَضْعَفُ نَاصِرًا وَّاَقَلُّ عَدَدًا ۟
काफ़िर लोग अपने कुफ़्र के मार्ग ही पर चलते रहेंगे, यहाँ तक कि जब क़ियामत के दिन अपनी आँखों से उस यातना को देख लेंगे, जिसका उनसे दुनिया में वादा किया जाता था, तो उस समय वे जान लेंगे कि सबसे कमज़ोर समर्थक वाला कौन है, और उन्हें पता चल जाएगा कि सबसे कम सहायक वाला कौन है।
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قُلْ اِنْ اَدْرِیْۤ اَقَرِیْبٌ مَّا تُوْعَدُوْنَ اَمْ یَجْعَلُ لَهٗ رَبِّیْۤ اَمَدًا ۟
(ऐ रसूल) इन दोबारा जीवित होकर उठने का इनकार करने वाले मुश्रिकों से कह दें : मैं नहीं जानता कि वह यातना जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है, निकट है या उसकी कोई अवधि निर्धारित है, जिसे अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता।
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عٰلِمُ الْغَیْبِ فَلَا یُظْهِرُ عَلٰی غَیْبِهٖۤ اَحَدًا ۟ۙ
वही पवित्र अल्लाह ग़ैब (परोक्ष) की सभी बातों को जानने वाला है। उससे ग़ैब की कोई बात छिपा नहीं है। चुनाँचे वह अपनी ग़ैब की बातों से किसी को सूचित नहीं करता। बल्कि वह उसके ज्ञान तक सीमित रहता है।
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اِلَّا مَنِ ارْتَضٰی مِنْ رَّسُوْلٍ فَاِنَّهٗ یَسْلُكُ مِنْ بَیْنِ یَدَیْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ رَصَدًا ۟ۙ
सिवाय उस रसूल के, जिसे अल्लाह सर्वशक्तिमान पसंद कर ले। तो वह उसे जिस चीज़ से चाहता है, सूचित कर देता है, तथा वह उस रसूल के आगे और उसके पीछे फ़रिश्तों का पहरा लगा देता है, जो उसकी रक्षा करते हैं, ताकि उस रसूल के अलावा कोई और उससे अवगत न हो सके।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
لِّیَعْلَمَ اَنْ قَدْ اَبْلَغُوْا رِسٰلٰتِ رَبِّهِمْ وَاَحَاطَ بِمَا لَدَیْهِمْ وَاَحْصٰی كُلَّ شَیْءٍ عَدَدًا ۟۠
आशा है कि रसूल जान ले कि उसके पहले के रसूलों ने अपने पालनहार के संदेशों को पहुँचा दिया था, जिनके पहुँचाने का अल्लाह ने उन्हें आदेश दिया था क्योंकि अल्लाह ने उन्हें (भी) अपने देखभाल से घेर रखा था। तथा अल्लाह ने, जो कुछ फ़रिश्तों और रसूलों के पास है, अपने ज्ञान से घेर रखा है। इसलिए उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। और उसने हर चीज़ की संख्या गिन रखी है। अतः उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• الجَوْر سبب في دخول النار.
• अत्याचार जहन्नम में जाने का एक कारण हैl

• أهمية الاستقامة في تحصيل المقاصد الحسنة.
• अच्छे उद्देश्यों को प्राप्त करने में सत्य मार्ग पर दृढ़ता का महत्व।

• حُفِظ الوحي من عبث الشياطين.
• वह़्य को शैतानों के खिलवाड़ से संरक्षित किया गया है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߥߐ߬ߞߎߟߐ ߟߎ߬
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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