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Kur'an-ı Kerim meal tercümesi - Muhtasar Kur'an-ı Kerim Tefsiri Hintçe Tercümesi * - Mealler fihristi


Anlam tercümesi Sure: Sûratu'l-Bakarah   Ayet:
فَمَنْ خَافَ مِنْ مُّوْصٍ جَنَفًا اَوْ اِثْمًا فَاَصْلَحَ بَیْنَهُمْ فَلَاۤ اِثْمَ عَلَیْهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
जिस व्यक्ति को वसीयत करने वाले के बारे में सत्य से विचलन, या वसीयत में अन्याय (अनुचितता) का पता चले; फिर वह, वसीयतकर्ता ने जो अनुचित किया है उसे सलाह देकर उसका सुधार कर दे, तथा वसीयत के बारे में मतभेद करने वालों के बीच संधि (मेल-मिलाप) करा दे, तो उसपर कोई गुनाह नहीं है। बल्कि उसे संधि कराने का सवाब मिलेगा। निश्चय अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला और उनपर दया करने वाला है।
Arapça tefsirler:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا كُتِبَ عَلَیْكُمُ الصِّیَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَی الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟ۙ
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने वालो और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! तुमपर तुम्हारे पालनहार की ओर से रोज़ा रखना फ़र्ज़ कर दिया गया है, जैसे तुमसे पहले समुदायों पर फ़र्ज़ किया गया था; ताकि तुम अल्लाह से डरो। अर्थात् अपने और उसके दंड के बीच अच्छे कर्मों को बचाव का साधन बना लो, और उनमें से एक महान कार्य रोज़ा रखना है।
Arapça tefsirler:
اَیَّامًا مَّعْدُوْدٰتٍ ؕ— فَمَنْ كَانَ مِنْكُمْ مَّرِیْضًا اَوْ عَلٰی سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِّنْ اَیَّامٍ اُخَرَ ؕ— وَعَلَی الَّذِیْنَ یُطِیْقُوْنَهٗ فِدْیَةٌ طَعَامُ مِسْكِیْنٍ ؕ— فَمَنْ تَطَوَّعَ خَیْرًا فَهُوَ خَیْرٌ لَّهٗ ؕ— وَاَنْ تَصُوْمُوْا خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
तुमपर अनिवार्य किया गया रोज़ा यह है कि तुम वर्ष में कुछ दिनों के रोज़े रखो। तुममें से जो कोई ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिसके साथ रोज़ा रखना मुश्किल है, या वह एक यात्री है; तो उसके लिए रोज़ा तोड़ देना अनुमेय है, फिर वह उतने दिनों की क़ज़ा करेगा जिनके रोज़े उसने तोड़ दिए हैं। तथा जो लोग रोज़ा रखने की शक्ति रखते हैं, यदि वे रोज़ा तोड़ दें, तो उनपर फ़िदया अनिवार्य है, जो कि हर उस दिन के बदले जिसका वे रोज़ा तोड़ देते हैं, एक ग़रीब व्यक्ति को खाना खिलाना है। परंतु जो व्यक्ति एक से अधिक गरीबों को खाना खिलाए, या रोज़ा रखने के साथ खाना (भी) खिलाए, तो यह उसके लिए बेहतर है। हालाँकि, तुम्हारा रोज़ा रखना तुम्हारे लिए रोज़ा तोड़कर फ़िदया देने से बेहतर है, यदि तुम जानते हो कि रोज़े के क्या गुण हैं। ज्ञात होना चाहिए कि जब अल्लाह ने पहले पहल रोज़ा धर्मसंगत किया था, तो यही हुक्म था। चुनाँचे जो चाहता, रोज़ा रखता और जो चाहता, रोज़ा तोड़ देता और (उसके बदले) खाना खिलाता। फिर उसके बाद, अल्लाह ने रोज़े को अनिवार्य कर दिया और उसे हर व्यस्क (बालिग़) सक्षम व्यक्ति पर फ़र्ज़ क़रार दिया।
Arapça tefsirler:
شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِیْۤ اُنْزِلَ فِیْهِ الْقُرْاٰنُ هُدًی لِّلنَّاسِ وَبَیِّنٰتٍ مِّنَ الْهُدٰی وَالْفُرْقَانِ ۚ— فَمَنْ شَهِدَ مِنْكُمُ الشَّهْرَ فَلْیَصُمْهُ ؕ— وَمَنْ كَانَ مَرِیْضًا اَوْ عَلٰی سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِّنْ اَیَّامٍ اُخَرَ ؕ— یُرِیْدُ اللّٰهُ بِكُمُ الْیُسْرَ وَلَا یُرِیْدُ بِكُمُ الْعُسْرَ ؗ— وَلِتُكْمِلُوا الْعِدَّةَ وَلِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰی مَا هَدٰىكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
रमज़ान का महीना वह है, जिसकी सम्मानित रात (लैलतुल क़द्र) में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर पवित्र क़ुरआन उतरना शुरू हुआ। अल्लाह ने इसे लोगों के लिए मार्गदर्शन के रूप में उतारा है। इसमें मार्गदर्शन तथा सत्य और असत्य के बीच अंतर करने के स्पष्ट प्रमाण हैं। अतः जो व्यक्ति रमज़ान के महीने में उपस्थित हो, इस हाल में कि वह स्वस्थ एवं निवासी हो (यात्रा पर न हो), तो वह अनिवार्य रूप से उसका रोज़ा रखे। तथा जो व्यक्ति ऐसी बीमारी से पीड़ित हो कि उसके लिए रोज़ा रखना कठिन हो, या वह मुसाफ़िर हो; तो उसके लिए रोज़ा न रखना अनुमेय है। यदि वह रोज़ा न रखे, तो उसके लिए अनिवार्य है कि (बाद में) उन दिनों की क़ज़ा करे जिनके रोज़े उसने नहीं रखे थे। अल्लाह के इन विधानों का मक़सद तुम्हारे लिए आसानी पैदा करना है, न कि कठिनाई। और ताकि तुम पूरे महीने के रोज़े की गिनती पूरी करो और ताकि रमज़ान का महीना समाप्त होने के बाद तथा ईद के दिन इस बात पर अल्लाह की महिमा का वर्णन करो कि उसने तुम्हें इसका रोज़ा रखने का सामर्थ्य दिया और उसे पूरा करने पर तुम्हारी मदद की, और ताकि तुम अल्लाह का इस धर्म के लिए तुम्हारा मार्गदर्शन करने पर शुक्रिया अदा करो, जिसे उसने तुम्हारे लिए पसंद किया है।
Arapça tefsirler:
وَاِذَا سَاَلَكَ عِبَادِیْ عَنِّیْ فَاِنِّیْ قَرِیْبٌ ؕ— اُجِیْبُ دَعْوَةَ الدَّاعِ اِذَا دَعَانِ فَلْیَسْتَجِیْبُوْا لِیْ وَلْیُؤْمِنُوْا بِیْ لَعَلَّهُمْ یَرْشُدُوْنَ ۟
और (ऐ नबी!) जब मेरे बंदे आपसे मेरी निकटता और उनकी दुआ को क़बूल करने के बारे में पूछें; तो निश्चय मैं उनके निकट हूँ, उनकी स्थितियों को जानता हूँ और उनकी दुआओं को सुनता हूँ। इसलिए उन्हें मध्यस्थों (बिचौलियों) की, या अपनी आवाज़ें ऊँची करने की आवश्यकता नहीं है। मैं पुकारने वाले की पुकार का जवाब देता हूँ जब वह मुझे अपनी दुआ में निष्ठा के साथ पुकारता है। इसलिए उन्हें चाहिए कि वे मेरा और मेरी आज्ञाओं का पालन करें, और अपने ईमान पर जमे रहें; क्योंकि यह मेरे उत्तर देने का सबसे लाभकारी तरीक़ा है। ताकि वे ऐसा करके अपने धार्मिक और सांसारिक मामलों में मार्गदर्शन के रास्ते पर चल सकें।
Arapça tefsirler:
Bu sayfadaki ayetlerin faydaları:
• فَضَّلَ الله شهر رمضان بجعله شهر الصوم وبإنزال القرآن فيه، فهو شهر القرآن؛ ولهذا كان النبي صلى الله عليه وسلم يتدارس القرآن مع جبريل في رمضان، ويجتهد فيه ما لا يجتهد في غيره.
• अल्लाह ने रमज़ान के महीने को, उसे रोज़े का महीना बनाकर और उसमें क़ुरआन उतारकर, श्रेष्ठता प्रदान की है। चुनाँचे रमज़ान क़ुरआन का महीना है। यही कारण है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान में जिबरील के साथ क़ुरआन का अध्ययन करते (दोहराते) थे और जितना आप इस महीने में परिश्रम करते थे किसी अन्य महीने में नहीं करते थे।

• شريعة الإسلام قامت في أصولها وفروعها على التيسير ورفع الحرج، فما جعل الله علينا في الدين من حرج.
• इस्लामी शरीयत अपने मौलिक सिद्धांतों और फ़ुरू'ई (अप्रधान) मुद्दों में सुविधा पैदा करने और तंगी (कष्ट) को दूर करने पर आधारित है। चुनाँचे अल्लाह ने धर्म के मामले में हमपर कोई कठिनाई नहीं रखी।

• قُرْب الله تعالى من عباده، وإحاطته بهم، وعلمه التام بأحوالهم؛ ولهذا فهو يسمع دعاءهم ويجيب سؤالهم.
• अल्लाह का अपने बंदों के निकट होना, उन्हें अपने घेरे में रखना और उनकी स्थितियों के बारे में पूर्ण ज्ञान रखना; इसीलिए वह उनकी दुआ को सुनता और उनकी माँग को पूरा करता है।

 
Anlam tercümesi Sure: Sûratu'l-Bakarah
Surelerin fihristi Sayfa numarası
 
Kur'an-ı Kerim meal tercümesi - Muhtasar Kur'an-ı Kerim Tefsiri Hintçe Tercümesi - Mealler fihristi

Kur'an Araştırmaları Tefsir Merkezi Tarafından Yayınlanmıştır.

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