Kur'an-ı Kerim meal tercümesi - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Mealler fihristi


Anlam tercümesi Ayet: (25) Sure: Sûratu'l-Enfâl
وَاتَّقُوْا فِتْنَةً لَّا تُصِیْبَنَّ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْكُمْ خَآصَّةً ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
और (ऐ ईमान वालो!) उस यातना से बचो, जो तुममें से केवल उसी पर नहीं आएगी, जो पापी है, बल्कि उसके साथ-साथ दूसरे लोग भी उसकी चपेट में आएँगे। यह उस समय होगा, जब अत्याचार प्रकट होगा और उसे दूर नहीं किया जाएगा। और यक़ीन मानो कि अल्लाह अपनी अवज्ञा करने वाले को सख़्त सज़ा देने वाला है। अतः उसकी अवज्ञा से बचो।
Arapça tefsirler:
Bu sayfadaki ayetlerin faydaları:
• من كان الله معه فهو المنصور وإن كان ضعيفًا قليلًا عدده، وهذه المعية تكون بحسب ما قام به المؤمنون من أعمال الإيمان.
• जिसके साथ अल्लाह होता है, वही विजयी रहता है, भले ही वह कमज़ोर हो और संख्या में कम हो। और अल्लाह का यह साथ उसी अनुपात में प्राप्त होता है, जिस अनुपात में मोमिन ईमान के कार्य करते हैं।

• المؤمن مطالب بالأخذ بالأسباب المادية، والقيام بالتكليف الذي كلفه الله، ثم يتوكل على الله، ويفوض الأمر إليه، أما تحقيق النتائج والأهداف فهو متروك لله عز وجل.
• मोमिन को चाहिए कि भौतिक कारणों को अपनाए और उस ज़िम्मेदारी का निर्वहन करे जिसका अल्लाह ने उसे बाध्य किया है, फिर वह अल्लाह पर भरोसा करे और अपने मामले को अल्लाह के हवाले कर दे। जहाँ तक परिणाम और लक्ष्यों को प्राप्त करने का संबंध है, तो वह अल्लाह सर्वशक्तिमान पर निर्भर है।

• في الآيات دليل على أن الله تعالى لا يمنع الإيمان والخير إلا عمَّن لا خير فيه، وهو الذي لا يزكو لديه هذا الإيمان ولا يثمر عنده.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि अल्लाह ईमान और भलाई से केवल उसी को वंचित करता है, जिसके अंदर कोई भलाई न हो। यह वह व्यक्ति है, जिसका ईमान शुद्ध नहीं होता और न ही उसे इससे कोई फ़ायदा होता है।

• على العبد أن يكثر من الدعاء: يا مقلب القلوب ثبِّت قلبي على دينك، يا مُصرِّف القلوب اصرف قلبي إلى طاعتك.
• बंदे को अधिक से अधिक यह दुआ पढ़ना चाहिए : يا مقلب القلوب ثبِّت قلبي على دينك، يا مُصرِّف القلوب اصرف قلبي إلى طاعتك (ऐ दिलों को पलटने वाले! मेरे दिल को अपने दीन पर जमाए रख, ऐ दिलों को फेरने वाले! मेरे दिल को अपने आज्ञापालन की ओर फेर दे।)

• أَمَرَ الله المؤمنين ألا يُقِرُّوا المنكر بين أظهرهم فيعُمَّهم العذاب.
• अल्लाह ने मोमिनों को आदेश दिया है कि वे अपने बीच बुराई को स्वीकार न करें। अन्यथा वे सभी यातना की चपेट में आ जाएँगे।

 
Anlam tercümesi Ayet: (25) Sure: Sûratu'l-Enfâl
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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