قۇرئان كەرىم مەنىلىرىنىڭ تەرجىمىسى - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - تەرجىمىلەر مۇندەرىجىسى


مەنالار تەرجىمىسى ئايەت: (152) سۈرە: سۈرە نىسا
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖ وَلَمْ یُفَرِّقُوْا بَیْنَ اَحَدٍ مِّنْهُمْ اُولٰٓىِٕكَ سَوْفَ یُؤْتِیْهِمْ اُجُوْرَهُمْ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟۠
जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और उसे एक माना, और उसके साथ किसी को साझी नहीं ठहराया, तथा उसके सभी रसूलों पर ईमान लाए और काफ़िरों की तरह उनमें से किसी के बीच अंतर नहीं किया, बल्कि उन सभी पर ईमान लाए; यही लोग हैं जिन्हें अल्लाह उनके ईमान तथा अच्छे कर्मों का बड़ा बदला प्रदान करेगा, और अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को बहुत क्षमा करने वाला, उनपर अति दयालु है।
ئەرەپچە تەپسىرلەر:
بۇ بەتتىكى ئايەتلەردىن ئېلىنغان مەزمۇنلار:
• يجوز للمظلوم أن يتحدث عن ظلمه وظالمه لمن يُرْجى منه أن يأخذ له حقه، وإن قال ما لا يسر الظالم.
• उत्पीड़ित के लिए यह जायज़ है कि वह अपने ज़ुल्म और अपने उत्पीड़क के बारे में ऐसे व्यक्ति से बात करे जिससे उसे आशा हो कि वह उसका हक़ दिला सकता है, भले ही वह ऐसी बात कहे जो उत्पीड़क को अच्छी न लगे।

• حض المظلوم على العفو - حتى وإن قدر - كما يعفو الرب - سبحانه - مع قدرته على عقاب عباده.
• उत्पीड़ित व्यक्ति को क्षमा करने के लिए प्रोत्साहित करना - भले ही वह बदला लेने में सक्षम हो - जिस तरह कि अल्लाह - महिमावान - अपने बंदों को दंडित करने की क्षमता रखते हुए भी क्षमा कर देता है।

• لا يجوز التفريق بين الرسل بالإيمان ببعضهم دون بعض، بل يجب الإيمان بهم جميعًا.
• रसूलों में से कुछ पर ईमान लाकर और कुछ पर ईमान न लाकर, उनके बीच अंतर करना जायज़ नहीं है, बल्कि उन सभी पर ईमान लाना अनिवार्य है।

 
مەنالار تەرجىمىسى ئايەت: (152) سۈرە: سۈرە نىسا
سۈرە مۇندەرىجىسى بەت نومۇرى
 
قۇرئان كەرىم مەنىلىرىنىڭ تەرجىمىسى - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - تەرجىمىلەر مۇندەرىجىسى

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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