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ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني سورة: الكهف   آية:
قَالَ اَلَمْ اَقُلْ لَّكَ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِیْعَ مَعِیَ صَبْرًا ۟
ख़ज़िर ने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : मैंने आपसे कहा था कि (ऐ मूसा!) आप मेरे द्वारा किए गए कार्यों को देखकर धैर्य नहीं रख पाएँगे!
التفاسير العربية:
قَالَ اِنْ سَاَلْتُكَ عَنْ شَیْ بَعْدَهَا فَلَا تُصٰحِبْنِیْ ۚ— قَدْ بَلَغْتَ مِنْ لَّدُنِّیْ عُذْرًا ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा : यदि मैं इस बार के बाद आपसे किसी चीज़ के बारे में पूछूँ, तो मुझे अलग कर दीजिएगा। निश्चय आप उस सीमा तक पहुँच चुके हैं, जहाँ आपके पास मेरा साथ छोड़ने का उचित कारण है; क्योंकि मैंने आपकी दो बार अवज्ञा की।
التفاسير العربية:
فَانْطَلَقَا ۫— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَتَیَاۤ اَهْلَ قَرْیَةِ ١سْتَطْعَمَاۤ اَهْلَهَا فَاَبَوْا اَنْ یُّضَیِّفُوْهُمَا فَوَجَدَا فِیْهَا جِدَارًا یُّرِیْدُ اَنْ یَّنْقَضَّ فَاَقَامَهٗ ؕ— قَالَ لَوْ شِئْتَ لَتَّخَذْتَ عَلَیْهِ اَجْرًا ۟
फिर दोनों चल पड़े, यहाँ तक कि जब वे एक गाँव वालों के पास आए, उसके रहने वालों से भोजन माँगा, तो गाँव वालों ने दोनों को भोजन कराने और उनकी मेहमानी का हक़ अदा करने से इनकार कर दिया। इसी बीच दोनों को गाँव में एक दीवार मिली, जो झुकी हुई थी और गिरने ही वाली थी। ख़ज़िर ने उसे बराबर करके सीधा कर दिया। इसपर मूसा अलैहिस्सलाम ने ख़ज़िर से कहा : यदि आप इसकी मरम्मत के लिए कुछ मज़दूरी लेना चाहते, तो ज़रूर ले लेते, जिसकी हमें उनके हमारी मेज़बानी करने से इनकार करने के बाद आवश्यकता भी थी।
التفاسير العربية:
قَالَ هٰذَا فِرَاقُ بَیْنِیْ وَبَیْنِكَ ۚ— سَاُنَبِّئُكَ بِتَاْوِیْلِ مَا لَمْ تَسْتَطِعْ عَّلَیْهِ صَبْرًا ۟
ख़ज़िर ने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : दीवार सीधी करने पर मेरे पारिश्रमिक न लेने पर यह आपत्ति आपके और मेरे बीच जुदाई का बिंदु है। अब मैं आपको उसकी वास्तविकता बताऊँगा, जो मुझे करते हुए देख आप धैर्य नहीं रख सके।
التفاسير العربية:
اَمَّا السَّفِیْنَةُ فَكَانَتْ لِمَسٰكِیْنَ یَعْمَلُوْنَ فِی الْبَحْرِ فَاَرَدْتُّ اَنْ اَعِیْبَهَا وَكَانَ وَرَآءَهُمْ مَّلِكٌ یَّاْخُذُ كُلَّ سَفِیْنَةٍ غَصْبًا ۟
जहाँ तक नाव की बात है, जिसे फाड़ देने पर आपने मेरा विरोध किया था, तो उसके मालिक कुछ कमज़ोर लोग थे, जो सागर में उसपर काम करते थे और वे उसकी रक्षा करने में असमर्थ थे। इसलिए मैंने सोचा कि उसे फाड़कर ऐबदार बना दूँ; ताकि एक राजा जो उनके आगे था उसपर क़ब्ज़ा न कर ले, जो हर अच्छी नाव को उसके मालिकों से ज़बरदस्ती छीन लेता था, तथा हर ऐबदार (खराब) नाव को छोड़ देता था।
التفاسير العربية:
وَاَمَّا الْغُلٰمُ فَكَانَ اَبَوٰهُ مُؤْمِنَیْنِ فَخَشِیْنَاۤ اَنْ یُّرْهِقَهُمَا طُغْیَانًا وَّكُفْرًا ۟ۚ
और रहा वह बालक, जिसकी हत्या करने पर आपने मेरा खंडन किया था, तो उसके माता-पिता ईमान वाले थे और वह (बालक) अल्लाह के ज्ञान में काफ़िर था। इसलिए हमें डर था कि कहीं वह बड़ा होने के बाद अपने माता-पिता को अल्लाह के साथ कुफ़्र और सरकशी के लिए न प्रेरित करे, क्योंकि माता-पिता को अपने बच्चे से असीम प्रेम होने के साथ-साथ उन्हें उसकी आवश्यकता भी होती है।
التفاسير العربية:
فَاَرَدْنَاۤ اَنْ یُّبْدِلَهُمَا رَبُّهُمَا خَیْرًا مِّنْهُ زَكٰوةً وَّاَقْرَبَ رُحْمًا ۟
इसलिए हमने चाहा कि अल्लाह उन दोनों को उसके बदले में एक ऐसा बालक प्रदान करे, जो धार्मिकता, भलाई और पाप से बचने के मामले में उससे बेहतर हो और अपने माता-पिता के प्रति दया-भाव में उससे अधिक निकट हो।
التفاسير العربية:
وَاَمَّا الْجِدَارُ فَكَانَ لِغُلٰمَیْنِ یَتِیْمَیْنِ فِی الْمَدِیْنَةِ وَكَانَ تَحْتَهٗ كَنْزٌ لَّهُمَا وَكَانَ اَبُوْهُمَا صَالِحًا ۚ— فَاَرَادَ رَبُّكَ اَنْ یَّبْلُغَاۤ اَشُدَّهُمَا وَیَسْتَخْرِجَا كَنْزَهُمَا ۖۗ— رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ ۚ— وَمَا فَعَلْتُهٗ عَنْ اَمْرِیْ ؕ— ذٰلِكَ تَاْوِیْلُ مَا لَمْ تَسْطِعْ عَّلَیْهِ صَبْرًا ۟ؕ۠
और रही बात उस दीवार की, जिसकी मैंने मरम्मत की थी तथा आपने उसकी मरम्मत करने पर मेरा विरोध किया था, वह उस नगर के दो बालकों की थी, जिसमें हम आए थे : उनके पिता की मृत्यु हो चुकी थी और दीवार के नीचे उन दोनों के लिए धन गाड़ा हुआ था और इन दोनों बालकों का पिता नेक था। इसलिए (हे मूसा!) आपके पालनहार ने चाहा कि वे दोनों वयस्कता तक पहुँचें और बड़े हो जाएँ और दीवार के नीचे से अपने गड़े हुए धन को निकालें; क्योंकि यदि दीवार अभी गिर जाती, तो उनका धन प्रकट हो जाता और क्षति से ग्रस्त हो जाता। दरअसल, यह उपाय आपके पालनहार की ओर से उन दोनों पर एक दया थी। मैंने इसे अपने विवेक से नहीं किया था। यह है असल वास्तविकता उन घटनाओं की, जिनपर आप धैर्य नहीं रख सके।
التفاسير العربية:
وَیَسْـَٔلُوْنَكَ عَنْ ذِی الْقَرْنَیْنِ ؕ— قُلْ سَاَتْلُوْا عَلَیْكُمْ مِّنْهُ ذِكْرًا ۟ؕ
और (ऐ रसूल!) अनेकेश्वरवादी तथा यहूदी आपको परखने के लिए आपसे ज़ुल-क़रनैन के समाचार के बारे में पूछते हैं। आप कह दें : मैं तुम्हें उसके वृत्तांत का एक भाग अवश्य सुनाऊँगा, जिससे तुम शिक्षा ग्रहण कर सको और नसीहत हासिल कर सको।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• وجوب التأني والتثبت وعدم المبادرة إلى الحكم على الشيء.
● किसी चीज़ के बारे में कोई राय क़ायम करने से पहले उसके बारे में सोच-विचार और छानबीन कर लेना ज़रूरी है।

• أن الأمور تجري أحكامها على ظاهرها، وتُعَلق بها الأحكام الدنيوية في الأموال والدماء وغيرها.
● सारे मामलों का हुक्म उनके ज़ाहिर के आधार पर लागू होता है और ज़ाहिर के आधार पर ही धन एवं रक्त से संबंधित सारे सांसारिक अहकाम जारी होते हैं।

• يُدْفَع الشر الكبير بارتكاب الشر الصغير، ويُرَاعَى أكبر المصلحتين بتفويت أدناهما.
● छोटी बुराई करके बड़ी बुराई को टाला जाएगा और दो हितों में से छोटे हित की उपेक्षा करके बड़े हित की रक्षा की जाएगी।

• ينبغي للصاحب ألا يفارق صاحبه ويترك صحبته حتى يُعْتِبَه ويُعْذِر منه.
● एक साथी को चाहिए कि अपने साथी को उस समय तक अलग न करे और उसका साथ न छोड़े, जब तक उसकी भर्त्सना के कारण को समाप्त कर उसे आश्वस्त न कर दे और उसकी आशंकाओं को दूर न कर दे।

• استعمال الأدب مع الله تعالى في الألفاظ بنسبة الخير إليه وعدم نسبة الشر إليه .
● अल्लाह तआला के लिए शब्दों का प्रयोग करने में शिष्टाचार से काम लेते हुए भलाई की निसबत उसकी ओर की जाएगी और बुराई की निसबत उसकी ओर नहीं की जाएगी।

• أن العبد الصالح يحفظه الله في نفسه وفي ذريته.
● नेक बंदे के साथ अल्लाह का मामला यह रहता है कि वह ख़ुद उसकी और उसकी संतान की रक्षा करता है।

 
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صادرة عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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