ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني آية: (43) سورة: مريم
یٰۤاَبَتِ اِنِّیْ قَدْ جَآءَنِیْ مِنَ الْعِلْمِ مَا لَمْ یَاْتِكَ فَاتَّبِعْنِیْۤ اَهْدِكَ صِرَاطًا سَوِیًّا ۟
हे मेरे पिता! निश्चय मेरे पास वह़्य के माध्यम से वह ज्ञान आया है, जो आपके पास नहीं आया। इसलिए आप मेरा अनुसरण करें, मैं आपका सीधे रास्ते पर मार्गदर्शन करूँगा।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• لما كان اعتزال إبراهيم لقومه مشتركًا فيه مع سارة، ناسب أن يذكر هبتهما المشتركة وحفيدهما، ثم جاء ذكر إسماعيل مستقلًّا مع أن الله وهبه إياه قبل إسحاق.
• चूँकि इबराहीम अलैहिस्सलाम के अपनी क़ौम से अलग होने के समय सारा भी साथ थीं, इसलिए उन दोनों के संयुक्त वरदान (इसहाक़ अलैहिस्सलाम) और उनके पोते (याक़ूब अलैहिस्सलाम) का उल्लेख करना उचित था, फिर उसके बाद स्वतंत्र रूप से इसमाईल अलैहिस्सलाम का उल्लेख आया है। हालाँकि अल्लाह ने उन्हें इसहाक़ अलैहिस्सलाम से पहले इसमाईल अलैहिस्सलाम ही को प्रदान किया था।

• التأدب واللطف والرفق في محاورة الوالدين واختيار أفضل الأسماء في مناداتهما.
• माता-पिता के साथ संवाद करने में शिष्टाचार, कोमलता और विनम्रता अपनाना, तथा उन्हें बुलाते समय सबसे अच्छे नामों का चयन करना चाहिए।

• المعاصي تمنع العبد من رحمة الله، وتغلق عليه أبوابها، كما أن الطاعة أكبر الأسباب لنيل رحمته.
• पाप बंदे को अल्लाह की दया से दूर कर देते हैं और उसपर दया के दरवाज़े बंद कर देते हैं। जबकि अल्लाह की आज्ञाकारिता उसकी दया प्राप्त करने का सबसे बड़ा कारण है।

• وعد الله كل محسن أن ينشر له ثناءً صادقًا بحسب إحسانه، وإبراهيم عليه السلام وذريته من أئمة المحسنين.
• अल्लाह ने हर उपकारी से वादा किया है कि वह उसके उपकार के अनुसार उसकी सच्ची प्रशंसा को फैला देगा। और इबराहीम अलैहिस्सलाम तथा उनके वंशज उपकारियों के इमामों में से हैं।

 
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