ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني آية: (54) سورة: مريم
وَاذْكُرْ فِی الْكِتٰبِ اِسْمٰعِیْلَ ؗ— اِنَّهٗ كَانَ صَادِقَ الْوَعْدِ وَكَانَ رَسُوْلًا نَّبِیًّا ۟ۚ
और (ऐ रसूल!) आपपर जो क़ुरआन उतारा गया है, उसमें इसमाईल (अलैहिस्सलाम) के वृत्तांत की चर्चा करें। निश्चय ही वह वचन का पक्का था, जब भी कोई वादा करता उसे ज़रूर पूरा करता था तथा वह रसूल एवं नबी था।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• حاجة الداعية دومًا إلى أنصار يساعدونه في دعوته.
• धर्म प्रचारक को सदैव ऐसे सहयोगियों की आवश्यकता रहती है, जो धर्म प्रचार के कार्य में उसकी सहायता करें।

• إثبات صفة الكلام لله تعالى.
• सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए “कलाम” (बात करने) के गुण का सबूत।

• صدق الوعد محمود، وهو من خلق النبيين والمرسلين، وضده وهو الخُلْف مذموم.
• वादे की सच्चाई सराहनीय है और यह नबियों तथा रसूलों के शिष्टाचार में से है, जबकि इसके विपरीत वादा तोड़ना निंदनीय है।

• إن الملائكة رسل الله بالوحي لا تنزل على أحد من الأنبياء والرسل من البشر إلا بأمر الله.
• फ़रिश्ते वह़्य के साथ अल्लाह के दूत हैं। वे अल्लाह की आज्ञा के बिना किसी भी मानव नबी अथवा रसूल पर नहीं उतरते हैं।

 
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