ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني آية: (4) سورة: الأنبياء
قٰلَ رَبِّیْ یَعْلَمُ الْقَوْلَ فِی السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ ؗ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : तुमने गुप्त रूप से जो बात कही है, मेरा पालनहार उसे खूब जानता है। क्योंकि वह आकाशों और धरती में बोलने वाले के मुँह से निकलने वाली हर बात को जानता है। वह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उनके कार्यों को जानने वाला है और वह उन्हें उनका बदला देगा।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• قُرْب القيامة مما يستوجب الاستعداد لها.
• क़ियामत का निकट होना, जो उसके लिए तैयारी करने की अपेक्षा करता है।

• انشغال القلوب باللهو يصرفها عن الحق.
• दिलों का आमोद-प्रमोद में व्यस्त होना, उन्हें सत्य से फेर देता है।

• إحاطة علم الله بما يصدر من عباده من قول أو فعل.
• अल्लाह का ज्ञान बंदे के मुँह से निकलने वाली हर बात और उसके हर कार्य को घेरे हुए है।

• اختلاف المشركين في الموقف من النبي صلى الله عليه وسلم يدل على تخبطهم واضطرابهم.
• अल्लाह के नबी सल्ललल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रति दृष्टिकोण (स्थिति) के बारे में मुश्रिकों का मतभेद, उनके भ्रम की स्थिति और उलझन को इंगित करता है।

• أن الله مع رسله والمؤمنين بالتأييد والعون على الأعداء.
• अल्लाह अपने समर्थन और दुश्मनों के विरुद्ध सहायता के द्वारा अपने रसूलों और ईमान वालों के साथ है।

• القرآن شرف وعز لمن آمن به وعمل به.
• क़ुरआन उसके लिए सम्मान और गर्व है, जो उस पर ईमान रखता और उसके अनुसार कार्य करता है।

 
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