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ترجمة معاني آية: (60) سورة: الحج
ذٰلِكَ ۚ— وَمَنْ عَاقَبَ بِمِثْلِ مَا عُوْقِبَ بِهٖ ثُمَّ بُغِیَ عَلَیْهِ لَیَنْصُرَنَّهُ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَعَفُوٌّ غَفُوْرٌ ۟
यह जिसका उल्लेख किया गया है; अल्लाह के रास्ते में अपना घरबार छोड़ने वालों को जन्नत में दाखिल करना और अत्याचार करने वाले से उसके अत्याचार का उसी के समान बदला लेने की अनुमति ताकि उसके लिए उस पर कोई पाप न हो। फिर यदि अत्याचारी दोबारा अत्याचार करे, तो अल्लाह उसकी अवश्य मदद करेगा जिसपर अत्याचार किया गया है। निःसंदेह अल्लाह ईमान वालों के गुनाहों को माफ़ करने वाला, उन्हें क्षमा करने वाला है।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• مكانة الهجرة في الإسلام وبيان فضلها.
• इस्लाम में हिजरत का स्थान और उसकी श्रेष्ठता का वर्णन।

• جواز العقاب بالمثل.
• बराबर का बदला लेने का सबूत।

• نصر الله للمُعْتَدَى عليه يكون في الدنيا أو الآخرة.
• अत्याचार के शिकार व्यक्ति के लिए अल्लाह की मदद इस दुनिया में या आख़िरत में होगी।

• إثبات الصفات العُلَا لله بما يليق بجلاله؛ كالعلم والسمع والبصر والعلو.
• अल्लाह के लिए उसकी महिमा के योग्य सर्वोच्च गुणों को साबित करना, जैसे : जानना, सुनना, देखना और ऊँचा होना।

 
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