ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني آية: (39) سورة: القصص
وَاسْتَكْبَرَ هُوَ وَجُنُوْدُهٗ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ وَظَنُّوْۤا اَنَّهُمْ اِلَیْنَا لَا یُرْجَعُوْنَ ۟
फ़िरऔन तथा उसके सैनिकों का अहंकार बढ़ गया और वे मिस्र की भूमि में बिना कारण के बड़े बन बैठे, तथा उन्होंने मृत्यु के पश्चात पुनः जीवित कर उठाए जाने का इनकार कर दिया और यह सोचा कि वे क़ियामत के दिन हिसाब-किताब और दंड के लिए हमारे पास नहीं लौटाए जाएँगे।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• رَدُّ الحق بالشبه الواهية شأن أهل الطغيان.
• निराधार संदेहों के द्वारा सत्य को रद्द कर देना सरकश लोगों का काम है।

• التكبر مانع من اتباع الحق.
• अहंकार सत्य का अनुसरण करने से रोकता है।

• سوء نهاية المتكبرين من سنن رب العالمين.
• अहंकारियों का बुरा अंत सर्व संसार के पालनहार का नियम है।

• للباطل أئمته ودعاته وصوره ومظاهره.
• असत्य के अपने अगुवा और प्रचारक तथा उसके रूप एवं दृश्य हैं।

 
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