ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني آية: (46) سورة: الشورى
وَمَا كَانَ لَهُمْ مِّنْ اَوْلِیَآءَ یَنْصُرُوْنَهُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ سَبِیْلٍ ۟ؕ
और उनके लिए संरक्षक भी नहीं होंगे, जो क़ियामत के दिन उन्हें अल्लाह की यातना से बचाने के लिए उनकी मदद कर सकें। तथा जिसे अल्लाह सत्य से हटाकर गुमराह कर दे, तो फिर उसके पास सच्चाई की ओर मार्गदर्शन करने के लिए हरगिज़ कोई रास्ता नहीं है।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• وجوب المسارعة إلى امتثال أوامر الله واجتناب نواهيه.
• अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने में जल्दी करना ज़रूरी है।

• مهمة الرسول البلاغ، والنتائج بيد الله.
• रसूल का कार्य पहुँचा देना है और परिणाम अल्लाह के हाथ में है।

• هبة الذكور أو الإناث أو جمعهما معًا هو على مقتضى علم الله بما يصلح لعباده، ليس فيها مزية للذكور دون الإناث.
• बेटे या बेटियाँ या दोनों एक साथ देना, अल्लाह के इस बात के ज्ञान की अपेक्षा के अनुसार है कि उसके बंदों के लिए क्या अच्छा है। इसमें बेटों के लिए बेटियों के मुक़ाबले में कोई विशिष्टता नहीं है।

• يوحي الله تعالى إلى أنبيائه بطرق شتى؛ لِحِكَمٍ يعلمها سبحانه.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान अपने नबियों की ओर विभिन्न तरीक़ों से वह़्य करता है, जिसकी हिकमतों को अल्लाह ही जानता है।

 
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