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ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني سورة: المجادلة   آية:
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— مَا یَكُوْنُ مِنْ نَّجْوٰی ثَلٰثَةٍ اِلَّا هُوَ رَابِعُهُمْ وَلَا خَمْسَةٍ اِلَّا هُوَ سَادِسُهُمْ وَلَاۤ اَدْنٰی مِنْ ذٰلِكَ وَلَاۤ اَكْثَرَ اِلَّا هُوَ مَعَهُمْ اَیْنَ مَا كَانُوْا ۚ— ثُمَّ یُنَبِّئُهُمْ بِمَا عَمِلُوْا یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
ऐ रसूल! क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह आकाशों तथा धरती की सभी चीज़ों को जानता है। उन दोनों में उपस्थित चीज़ों में से कोई चीज़ उससे छिपी हुई नहीं है। किसी तीन लोगों की गुप्त रूप से कोई बात-चीत नहीं होती, परंतु वह महामहिम (अल्लाह) अपने ज्ञान के साथ उनका चौथा होता है। तथा किसी पाँच लोगों की गुप्त रूप से कोई बात-चीत नहीं होती, परंतु वह महामहिम (अल्लाह) अपने ज्ञान के साथ उनका छठा होता है। तथा इस संख्या से कम या इससे अधिक लोगों की गुप्त रूप से कोई बात-चीत नहीं होती, परंतु वह अपने ज्ञान के साथ उनके साथ होता है, चाहे वे जहाँ कहीं भी रहें। उनकी बातों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। फिर अल्लाह उन्हें क़ियामत के दिन उनके कर्मों के बारे में बताएगा। निश्चय अल्लाह हर वस्तु को जानने वाला है। उससे कोई वस्तु छिपी नहीं है। निश्चय अल्लाह हर वस्तु को जानने वाला है।
التفاسير العربية:
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ نُهُوْا عَنِ النَّجْوٰی ثُمَّ یَعُوْدُوْنَ لِمَا نُهُوْا عَنْهُ وَیَتَنٰجَوْنَ بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَمَعْصِیَتِ الرَّسُوْلِ ؗ— وَاِذَا جَآءُوْكَ حَیَّوْكَ بِمَا لَمْ یُحَیِّكَ بِهِ اللّٰهُ ۙ— وَیَقُوْلُوْنَ فِیْۤ اَنْفُسِهِمْ لَوْلَا یُعَذِّبُنَا اللّٰهُ بِمَا نَقُوْلُ ؕ— حَسْبُهُمْ جَهَنَّمُ ۚ— یَصْلَوْنَهَا ۚ— فَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟
क्या (ऐ रसूल!) आपने उन यहूदियों को नहीं देखा, जो अगर किसी मोमिन को देखते, तो कानाफूसी करने लगते थे। अतः अल्लाह ने उन्हें कानाफूसी से मना कर दिया। लेकिन वे फिर वही काम करते हैं, जिससे अल्लाह ने उन्हें मना किया था और वे आपस में ऐसी कानाफूसियाँ करते हैं, जिनमें गुनाह होता है, जैसे मुसलमानों की ग़ीबत करना, तथा जिनमें मुसलमानों पर अत्याचार होता है, और जिनमें रसूल की अवज्ञा होती है। और जब वे (ऐ रसूल!) आपके पास आते हैं, तो ऐसे शब्दों से आपको सलाम करते हैं, जिनसे अल्लाह ने आपको सलाम नहीं किया है। चुनाँचे वे कहते हैं : "अस्सामु अलैका" इससे उनका मतलब यह होता है कि आपको मौत आए। तथा वे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झुठलाने के लिए कहते हैं : हम जो कुछ कहते हैं, उसपर अल्लाह हमें यातना क्यों नहीं देता। क्योंकि अगर वह अपने नबी होने के दावे में सच्चा होता, तो हम जो कुछ उसके बारे में कहते हैं, उसके कारण अल्लाह हमें अवश्य दंडित करता! उन्होंने जो कुछ कहा है उसपर सज़ा के तौर पर उन्हें जहन्नम ही काफी है। वे उसकी गर्मी को झेलेंगे। अतः उनका ठिकाना बहुत बुरा ठिकाना है।
التفاسير العربية:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا تَنَاجَیْتُمْ فَلَا تَتَنَاجَوْا بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَمَعْصِیَتِ الرَّسُوْلِ وَتَنَاجَوْا بِالْبِرِّ وَالتَّقْوٰی ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِیْۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! ऐसी कानाफूसी न करो, जिसमें गुनाह, या अत्याचार या रसूल की अवज्ञा हो, ताकि तुम यहूदियों की तरह न हो जाओ। बल्कि ऐसी कानाफूसी करो, जो अल्लाह के आज्ञापालन और उसकी अवज्ञा से रुकने पर आधारित हो। तथा अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरते रहो। क्योंकि अकेला वही है, जिसके पास तुम क़ियामत के दिन हिसाब और बदले के लिए एकत्रित किए जाओगे।
التفاسير العربية:
اِنَّمَا النَّجْوٰی مِنَ الشَّیْطٰنِ لِیَحْزُنَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَلَیْسَ بِضَآرِّهِمْ شَیْـًٔا اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟
निश्चित रूप से - गुनाह, अत्याचार और रसूल की अवज्ञा पर आधारित - कानाफूसी शैतान की ओर से अपने दोस्तों के लिए उसे शोभित करके प्रस्तुत करने और फुसफुसाने के कारण है। ताकि वह ईमान वालों को इस बात से शोकाकुल कर दे कि उनके विरुद्ध चाल चली जा रही है। हालाँकि शैतान और उसका यह सुशोभीकरण, अल्लाह की मर्ज़ी और इच्छा के बिना ईमान वालों को कुछ भी नुक़सान नहीं पहुँचा सकता। और ईमान वालों को अपने सभी मामलों में अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।
التفاسير العربية:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا قِیْلَ لَكُمْ تَفَسَّحُوْا فِی الْمَجٰلِسِ فَافْسَحُوْا یَفْسَحِ اللّٰهُ لَكُمْ ۚ— وَاِذَا قِیْلَ انْشُزُوْا فَانْشُزُوْا یَرْفَعِ اللّٰهُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنْكُمْ ۙ— وَالَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ دَرَجٰتٍ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! जब तुमसे कहा जाए कि मजलिसों (बैठकों) में जगह कुशादा कर दो, तो उनमें जगह बना दिया करो। अल्लाह तुम्हारे सांसारिक जीवन तथा आख़िरत में तुम्हारे लिए विस्तार पैदा करेगा। और जब तुमसे कहा जाए : कुछ मजलिसों से उठ जाओ, ताकि वहाँ प्रतिष्ठित लोग बैठ सकें, तो वहाँ से उठ जाया करो। अल्लाह तुममें से उन लोगों के दर्जों (पदों) को बहुत ऊँचा करेगा, जो ईमान लाए और जो ज्ञान दिए गए। और अल्लाह तुम्हारे कार्यों से पूरी तरह अवगत है। उससे तुम्हारे कार्यों में से कुछ भी छिपा नहीं है। और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• مع أن الله عالٍ بذاته على خلقه؛ إلا أنه مطَّلع عليهم بعلمه لا يخفى عليه أي شيء.
• यद्यपि अल्लाह अपने अस्तित्व के साथ अपनी सृष्टि पर सर्वोच्च है, परंतु वह अपने ज्ञान के साथ उनसे अवगत है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है।

• لما كان كثير من الخلق يأثمون بالتناجي أمر الله المؤمنين أن تكون نجواهم بالبر والتقوى.
• जब बहुतेरे लोग कानाफूसी के कारण पाप कर रहे थे, ऐसे में अल्लाह ईमान वालों को आदेश देता है कि उनकी कानाफूसी नेकी और तक़्वा (धर्मपरायणता) पर आधारित होनी चाहिए।

• من آداب المجالس التوسيع فيها للآخرين.
• मजलिसों के शिष्टाचार में से यह है कि दूसरों के लिए जगह बनाई जाए।

 
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