ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني آية: (138) سورة: الأنعام
وَقَالُوْا هٰذِهٖۤ اَنْعَامٌ وَّحَرْثٌ حِجْرٌ ۖۗ— لَّا یَطْعَمُهَاۤ اِلَّا مَنْ نَّشَآءُ بِزَعْمِهِمْ وَاَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُوْرُهَا وَاَنْعَامٌ لَّا یَذْكُرُوْنَ اسْمَ اللّٰهِ عَلَیْهَا افْتِرَآءً عَلَیْهِ ؕ— سَیَجْزِیْهِمْ بِمَا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟
तथा बहुदेववादियों ने कहा : ये पशुधन और फसलें निषिद्ध हैं, जिनमें से केवल वही खा सकते हैं, जिन्हें वे चाहें, जैसे मूर्तियों के सेवक आदि। यह उनका अपना ख़याल और घड़ी हुई बात है। और (उन्होंने यह भी कहा कि) ये ऐसे मवेशी हैं जिनकी पीठें हराम (वर्जित) हैं; न उनकी सवारी की जाएगी और न ही उनपर बोझ लादा जाएगा। इन जानवरों से मुराद बहीरा (वह ऊँटनी जिसके पाँच बच्चे हो जाएँ और उसका कान चीरकर उसे छोड़ दिया जाए), साइबा (वह ऊँटनी जिसे मूर्तियों के लिए छोड़ दिया जाए) और हामी (वह नर ऊँट जिसकी नस्ल से दस बच्चे पैदा हो जाएँ और उसे आज़ाद कर दिया जाए) हैं। इन जानवरों को ज़बह करते समय वे अल्लाह का नाम लेने के बजाय अपनी मूर्तियों का नाम लेते थे। उन्होंने यह सब अल्लाह के विरुद्ध यह झूठ गढ़ते हुए किया कि यह उसकी ओर से है। अल्लाह शीघ्र ही उन्हें अपनी यातना से दंडित करेगा, क्योंकि वे अल्लाह पर झूठे आरोप लगाते थे।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• ذم الله المشركين بسبع صفات هي : الخسران والسفاهة وعدم العلم وتحريم ما رزقهم الله والافتراء على الله والضلال وعدم الاهتداء؛ فهذه أمور سبعة، وكل واحد منها سبب تام في حصول الذم.
• अल्लाह ने बहुदेववादियों की सात विशेषताओं के साथ निंदा की है : हानि, मूर्खता, ज्ञान की कमी, अल्लाह की दी हुई चीज़ों को हराम ठहरा लेना, अल्लाह पर झूठ बाँधना, पथभ्रष्टता और सीधे मार्ग पर न होना। ये सात चीज़ें हैं, जिनमें से प्रत्येक निंदा का एक पूर्ण कारण है।

• الأهواء سبب تحريم ما أحل الله وتحليل ما حرم الله.
• इच्छाएँ अल्लाह की हलाल की हुई चीज़ को हराम ठहराने तथा उसकी हराम की हुई चीज़ को हलाल ठहराने का कारण हैं।

• وجوب الزكاة في الزروع والثمار عند حصادها، مع جواز الأكل منها قبل إخراج زكاتها، ولا يُحْسَب من الزكاة.
• खेतियों तथा फलों पर ज़कात उनकी कटाई के समय अनिवार्य होती है। जबकि उनकी ज़कात निकालने से पहले उनमें से खाना जायज़ है और उसकी गणना ज़कात में से नहीं की जाएगी।

• التمتع بالطيبات مع عدم الإسراف ومجاوزة الحد في الأكل والإنفاق.
• फ़िज़ूलखर्ची तथा खान-पान और खर्च करने में सीमा का उल्लंघन करने से बचते हुए, अच्छी व पवित्र चीजों का आनंद लेना।

 
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