ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني آية: (35) سورة: الأنعام
وَاِنْ كَانَ كَبُرَ عَلَیْكَ اِعْرَاضُهُمْ فَاِنِ اسْتَطَعْتَ اَنْ تَبْتَغِیَ نَفَقًا فِی الْاَرْضِ اَوْ سُلَّمًا فِی السَّمَآءِ فَتَاْتِیَهُمْ بِاٰیَةٍ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَجَمَعَهُمْ عَلَی الْهُدٰی فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْجٰهِلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनके पास जो सत्य लाए हैं, यदि उससे उनका मुँह फेरना और झुठलाना आपके लिए कठिन प्रतीत हो रहा है, तो यदि आप धरती में कोई सुरंग अथवा आकाश की ओर कोई सीढ़ी तलाश करने में सक्षम हो जाएँ, फिर आप उनके पास उसके अलावा कोई तर्क और प्रमाण ले आएँ, जिसके साथ हमने आपका समर्थन किया है, तो ले आएँ। और यदि अल्लाह उन्हें उस मार्गदर्शन पर एकत्र करना चाहता, जो आप लेकर आए हैं, तो उन्हें अवश्य एकत्र कर देता। लेकिन उसने किसी व्यापक हिकमत के कारण ऐसा नहीं चाहा। इसलिए आप इस तथ्य से अनजान मत बनें, कि इस बात पर अफ़सोस करते-करते आपकी जान जाती रहे कि वे ईमान नहीं लाए।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• من عدل الله تعالى أنه يجمع العابد والمعبود والتابع والمتبوع في عَرَصات القيامة ليشهد بعضهم على بعض.
• यह अल्लाह के न्याय में से है कि वह क़ियामत के मैदान में उपासक और उपास्य, अनुसरणकर्ता तथा जिसका अनुसरण किया गया है, सबको इकट्ठा करेगा, ताकि वे एक-दूसरे के विरुद्ध गवाही दें।

• ليس كل من يسمع القرآن ينتفع به، فربما يوجد حائل مثل ختم القلب أو الصَّمَم عن الانتفاع أو غير ذلك.
• हर कोई जो क़ुरआन सुनता है, वह उससे लाभान्वित नहीं होता है, क्योंकि लाभान्वित होने में कोई चीज़ बाधित हो सकती है, जैसे कि दिल पर मुहर लगा दिया जाना या लाभ उठाने से बहरापन, या कुछ और।

• بيان أن المشركين وإن كانوا يكذبون في الظاهر فهم يستيقنون في دواخلهم بصدق النبي عليه الصلاة والسلام.
• इस बात का वर्णन कि मुश्रिक, भले ही ज़ाहिरी तौर पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झुठलाते थे, परंतु वे अपने दिलों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सच्चाई के प्रति आश्वस्त थे।

• تسلية النبي عليه الصلاة والسلام ومواساته بإعلامه أن هذا التكذيب لم يقع له وحده، بل هي طريقة المشركين في معاملة الرسل السابقين.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह बताकर सांत्वना देना कि यह इनकार अकेले उनके साथ नहीं हुआ है। बल्कि, पिछले रसूलों के साथ व्यवहार करने में बहुदेववादियों का यही तरीक़ा रहा है।

 
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