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ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني سورة: الأعراف   آية:

سورة الأعراف - अल्-आराफ़

من مقاصد السورة:
انتصار الحق في صراعه مع الباطل، وبيان عاقبة المستكبرين في الدنيا والآخرة.
असत्य के साथ संघर्ष में सत्य की जीत, तथा दुनिया और आख़िरत में अभिमानियों के परिणाम का बयान।

الٓمّٓصٓ ۟ۚ
(अलिफ़, लाम, मीम, साद) सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।
التفاسير العربية:
كِتٰبٌ اُنْزِلَ اِلَیْكَ فَلَا یَكُنْ فِیْ صَدْرِكَ حَرَجٌ مِّنْهُ لِتُنْذِرَ بِهٖ وَذِكْرٰی لِلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
क़ुरआन-ए-करीम एक पुस्तक है, जिसे अल्लाह ने (ऐ रसूल!) आपपर उतारा है। अतः आपके सीने में उसके संबंध में कोई तंगी या संदेह न हो। अल्लाह ने इसे आपकी ओर इसलिए अवतरित किया है, ताकि आप उसके द्वारा लोगों को डराएँ और तर्क स्थापित करें, तथा उसके द्वारा ईमान वालों को नसीहत करें। क्योंकि वही लोग नसीहत से लाभान्वित होते हैं।
التفاسير العربية:
اِتَّبِعُوْا مَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَلَا تَتَّبِعُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَذَكَّرُوْنَ ۟
(ऐ लोगो!) उस किताब का अनुसरण करो, जो तुम्हारे पालनहार ने तुमपर उतारी है, तथा अपने नबी की सुन्नत का पालन करो, और उन शैतानों या दुष्ट रब्बियों की इच्छाओं का पालन न करो, जिन्हें तुम अपने संरक्षक समझते हो, उनकी इच्छाएँ जो कुछ निर्देशित करती हैं उसकी ख़ातिर तुम उसे छोड़कर, जो तुमपर उतारा गया है, उनसे दोस्ती करते हो। दरअसल, तुम बहुत ही कम शिक्षा ग्रहण करते हो; क्योंकि यदि तुम शिक्षा ग्रहण करते, तो तुम सत्य पर उसके अलावा को तरजीह न देते, और अवश्य तुम उसका अनुसरण करते जो तुम्हारे रसूल लेकर आए हैं, तथा उसपर अमल करते और उसके सिवा अन्य चीज़ों को छोड़ देते।
التفاسير العربية:
وَكَمْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَا فَجَآءَهَا بَاْسُنَا بَیَاتًا اَوْ هُمْ قَآىِٕلُوْنَ ۟
कितनी ही बस्तियाँ ऐसी हैं, जिन्हें हमने अपने अज़ाब से विनष्ट कर दिया, जब वे अपने इनकार तथा गुमराही पर अडिग रहीं। चुनाँचे उनपर हमारा गंभीर अज़ाब रात या दिन में उनकी ग़फ़लत के समय आ पहुँचा। फिर वे अपने आपसे अज़ाब को नहीं हटा सके, और न ही उसे उनसे उनके तथाकथित पूज्यों ने हटाया।
التفاسير العربية:
فَمَا كَانَ دَعْوٰىهُمْ اِذْ جَآءَهُمْ بَاْسُنَاۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
फिर यातना के उतर जाने के बाद उनसे इसके सिवा कुछ न बन पड़ा कि उन्होंने अल्लाह का इनकार करके अपने ऊपर अत्याचार करने के अपराध को स्वीकार कर लिया।
التفاسير العربية:
فَلَنَسْـَٔلَنَّ الَّذِیْنَ اُرْسِلَ اِلَیْهِمْ وَلَنَسْـَٔلَنَّ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
हम क़ियामत के दिन उन समुदायों से अवश्य पूछेंगे, जिनकी ओर हमने अपने रसूल भेजे थे कि उन्होंने रसूलों को क्या जवाब दिया, तथा हम उन रसूलों से भी उस संदेश को पहुँचाने के बारे में अवश्य पूछेंगे जिसके पहुँचाने का उन्हें आदेश दिया गया था, और इस बारे में कि उनके समुदायों ने उन्हें क्या जवाब दिया।
التفاسير العربية:
فَلَنَقُصَّنَّ عَلَیْهِمْ بِعِلْمٍ وَّمَا كُنَّا غَآىِٕبِیْنَ ۟
फिर हम समस्त लोगों के सामने अपने पूर्ण ज्ञान के साथ उनके उन कामों का वर्णन करेंगे जो उन्होंने इस संसार में किए थे। क्योंकि हम उनके सब कामों से अवगत थे, उनमें से कोई भी चीज़ हमसे ओझल नहीं थी, तथा हम किसी भी समय उनसे ग़ायब नहीं थे।
التفاسير العربية:
وَالْوَزْنُ یَوْمَىِٕذِ ١لْحَقُّ ۚ— فَمَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِیْنُهٗ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
तथा क़ियामत के दिन कर्मों को न्याय (इंसाफ़) के साथ तौला जाएगा, जिसके साथ कोई अन्याय या अत्याचार नहीं होगा। फिर जिसकी नेकियों का पलड़ा उसके पापों के पलड़े से भारी हो गया, तो वही वे लोग हैं जो अपनी वांछित चीज़ को प्राप्त करने में सफल हो गए और उस चीज़ से बच गए जिसका उन्हें भय था।
التفاسير العربية:
وَمَنْ خَفَّتْ مَوَازِیْنُهٗ فَاُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ بِمَا كَانُوْا بِاٰیٰتِنَا یَظْلِمُوْنَ ۟
तथा जिसके पापों का पलड़ा उसकी नेकियों के पलड़े से भारी हो गया, तो यही लोग हैं जिन्होंने, अल्लाह की आयतों का इनकार करने के कारण, क़ियामत के दिन अपने आपको विनाश के घाट उतार कर खुद को घाटे में डाल दिया।
التفاسير العربية:
وَلَقَدْ مَكَّنّٰكُمْ فِی الْاَرْضِ وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِیْهَا مَعَایِشَ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ۟۠
(ऐ आदम की औलाद!) हमने धरती में तुम्हें अधिकार दिया और उसमें तुम्हारे लिए जीने के साधन बनाए। इसलिए तुम्हें इसपर अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए था, लेकिन तुम बहुत कम शुक्र करते हो।
التفاسير العربية:
وَلَقَدْ خَلَقْنٰكُمْ ثُمَّ صَوَّرْنٰكُمْ ثُمَّ قُلْنَا لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ ۖۗ— فَسَجَدُوْۤا اِلَّاۤ اِبْلِیْسَ ؕ— لَمْ یَكُنْ مِّنَ السّٰجِدِیْنَ ۟
(ऐ लोगो!) हमने तुम्हारे पिता आदम को बनाया, फिर हमने उसे सबसे अच्छा रूप और सबसे अच्छा आकार दिया, फिर हमने फ़रिश्तों को उसके सम्मान में सजदा करने का आदेश दिया। तो उन्होंने पालन किया और सजदा किया, सिवाय इबलीस के। उसने अहंकार और हठ करते हुए सजदा करने से इनकार कर दिया।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• من مقاصد إنزال القرآن الإنذار للكافرين والمعاندين، والتذكير للمؤمنين.
• क़ुरआन के उतारने के उद्देश्यों में काफ़िरों और हठी लोगों को सचेत करना, तथा ईमान वालों को नसीहत करना है।

• أنزل الله القرآن إلى المؤمنين ليتبعوه ويعملوا به، فإن فعلوا ذلك كملت تربيتهم، وتمت عليهم النعمة، وهُدُوا لأحسن الأعمال والأخلاق.
• अल्लाह ने मोमिनों की ओर क़ुरआन को उसका पालन करने और उसपर अमल करने के लिए उतारा है। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उनका प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा, उनपर नेमत पूरी हो जाएगी, और उन्हें सर्वोत्तम कर्मों और नैतिकताओं के लिए निर्देशित किया जाएगा।

• الوزن يوم القيامة لأعمال العباد يكون بالعدل والقسط الذي لا جَوْر فيه ولا ظلم بوجه.
• क़ियामत के दिन बंदों के कार्यों को न्याय और समानता के साथ तौला जाएगा, जिसमें किसी भी तरह से अन्याय अथवा अत्याचार नहीं होगा।

• هَيَّأ الله الأرض لانتفاع البشر بها، بحيث يتمكَّنون من البناء عليها وحَرْثها، واستخراج ما في باطنها للانتفاع به.
• अल्लाह ने धरती को मनुष्यों के लाभ के लिए तैयार किया है, ताकि वे इसपर निर्माण कर सकें और इसकी खेती कर सकें, तथा इसके अंदर जो कुछ भी है, उससे लाभ उठाने के लिए उसे निकाल सकें।

 
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