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ترجمة معاني سورة: الكوثر   آية:

سورة الكوثر - सूरा अल्-कौसर

اِنَّاۤ اَعْطَیْنٰكَ الْكَوْثَرَ ۟ؕ
(ऐ नबी!) हमने आपको कौसर प्रदान किया है।[1]
1. कौसर का अर्थ है बहुत ज़्यादा और अत्यधिक भलाई। और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया कि कौसर एक ह़ौज़ (कुंड) है, जो मुझे परलोक में प्रदान किया जाएगा। जब प्रत्येक व्यक्ति प्यास-प्यास कर रहा होगा और आपकी उम्मत आपके पास आएगी, आप पहले ही से वहाँ उपस्थित होंगे और आप उन्हें उससे पिलाएँगे, जिसका जल दूध से उजला और मधु से अधिक मधुर होगा। उसकी भूमि कस्तूरी होगी, उसकी सीमा और बरतनों का सविस्तार वर्णन ह़दीसों में आया है।
التفاسير العربية:
فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَانْحَرْ ۟ؕ
तो आप अपने पालनहार ही के लिए नमाज़ पढ़ें तथा क़ुर्बानी करें।[2]
2. इस आयत में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और आपके माध्यम से सभी मुसलमानों से कहा जा रहा है कि जब समस्त भलाइयाँ तुम्हारे पालनहार ही ने प्रदान की हैं, तो तुम भी मात्र उसी की पूजा करो और बलि भी उसी के लिए दो। मूर्तिपूजकों की भाँति देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना न करो और न उनके लिए बलि दो। वे तुम्हें कोई लाभ और हानि देने का सामर्थ्य नहीं रखते।
التفاسير العربية:
اِنَّ شَانِئَكَ هُوَ الْاَبْتَرُ ۟۠
निःसंदेह आपका शत्रु ही बे नाम व निशान है।[3]
3. आयत संख्या 3 में 'अब्तर' का शब्द प्रयोग हुआ है। जिसका अर्थ है जड़ से अलग कर देना जिसके बाद कोई पेड़ सूख जाता है। और इस शब्द का प्रयोग उसके लिए भी किया जाता है जो अपनी जाति से अलग हो जाए, या जिसका कोई पुत्र जीवित न रह जाए, और उसके निधन के बाद उसका कोई नाम लेवा न हो। इस आयत में जो भविष्यवाणी की गई है, वह सत्य सिद्ध होकर पूरे मानव संसार को इस्लाम और क़ुरआन पर विचार करने के लिए बाध्य कर रही है। (इब्ने कसीर)
التفاسير العربية:
 
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ترجمة معاني القرآن الكريم إلى اللغة الهندية، ترجمها عزيز الحق العمري.

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