ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية * - فهرس التراجم

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ترجمة معاني آية: (40) سورة: الشورى
وَجَزٰٓؤُا سَیِّئَةٍ سَیِّئَةٌ مِّثْلُهَا ۚ— فَمَنْ عَفَا وَاَصْلَحَ فَاَجْرُهٗ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الظّٰلِمِیْنَ ۟
और किसी बुराई का बदला उसी जैसी बुराई[30] है। फिर जो क्षमा कर दे तथा सुधार कर ले, तो उसका प्रतिफल अल्लाह के ज़िम्मे है। निःसंदेह वह अत्याचारियों से प्रेम नहीं करता।
30. इस आयत में बुराई का बदला लेने की अनुमति दी गई है। बुराई का बदला यद्पि बुराई नहीं, बल्कि न्याय है, फिर भी बुराई के समरूप होने का कारण उसे बुराई ही कहा गया है।
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