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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-বাক্বাৰাহ   আয়াত:
وَاِنْ كُنْتُمْ عَلٰی سَفَرٍ وَّلَمْ تَجِدُوْا كَاتِبًا فَرِهٰنٌ مَّقْبُوْضَةٌ ؕ— فَاِنْ اَمِنَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا فَلْیُؤَدِّ الَّذِی اؤْتُمِنَ اَمَانَتَهٗ وَلْیَتَّقِ اللّٰهَ رَبَّهٗ ؕ— وَلَا تَكْتُمُوا الشَّهَادَةَ ؕ— وَمَنْ یَّكْتُمْهَا فَاِنَّهٗۤ اٰثِمٌ قَلْبُهٗ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ عَلِیْمٌ ۟۠
यदि तुम यात्रा कर रहे हो और तुम्हें कोई लिखने वाला न मिले, जो तुम्हारे लिए क़र्ज़ की दस्तावेज़ लिखे, तो देनदार के लिए इतना काफी है कि कोई सामान गिरवी रख दे, जिसे ऋण देने वाला अपने क़ब्ज़े में ले लेगा, जो उसके अधिकार की गारंटी होगी, यहाँ तक कि देनदार अपने क़र्ज़ का भुगतान कर दे। अगर तुममें से कोई व्यक्ति किसी पर भरोसा करे, तो ऐसी स्थिति में लिखने, या गवाह बनाने या गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं है। उस समय क़र्ज़ देनदार के ज़िम्मे एक अमानत के तौर पर रहेगा, उसपर उसे अपने लेनदार को चुकाना अनिवार्य है। उसे चाहिए कि इस अमानत के बारे में अल्लाह से डरे और उसमें से किसी भी चीज़ का इनकार न करे। अगर वह इनकार करता है, तो लेन-देन को देखने वाले को गवाही देनी चाहिए। और उसके लिए गवाही छिपाना जायज़ नहीं है। और जो कोई गवाही छिपाता है, तो उसका दिल एक पापी (दुष्ट) दिल है। याद रखो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे जानता है, उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है। और वह तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला देगा।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَاِنْ تُبْدُوْا مَا فِیْۤ اَنْفُسِكُمْ اَوْ تُخْفُوْهُ یُحَاسِبْكُمْ بِهِ اللّٰهُ ؕ— فَیَغْفِرُ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیُعَذِّبُ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ पृथ्वी पर है, सबका पैदा करने वाला, मालिक और प्रबंधन करने वाला केवल अल्लाह है। यदि तुम अपने दिलों में जो कुछ है उसे प्रकट करो या उसे छिपाओ, अल्लाह उसे जानता है और वह तुमसे उसका हिसाब लेगा। फिर उसके बाद अपनी कृपा और दया से जिसे चाहेगा, क्षमा कर देगा और जिसे चाहेगा, अपने न्याय और हिकमत से यातना देगा। और अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
اٰمَنَ الرَّسُوْلُ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْهِ مِنْ رَّبِّهٖ وَالْمُؤْمِنُوْنَ ؕ— كُلٌّ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَمَلٰٓىِٕكَتِهٖ وَكُتُبِهٖ وَرُسُلِهٖ ۫— لَا نُفَرِّقُ بَیْنَ اَحَدٍ مِّنْ رُّسُلِهٖ ۫— وَقَالُوْا سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَاِلَیْكَ الْمَصِیْرُ ۟
रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर उस चीज़ पर ईमान लाए, जो उनके पालनहार की ओर से उनकी तरफ़ उतारी गई और इसी प्रकार मोमिन भी ईमान लाए। वे सभी अल्लाह पर ईमान लाए, तथा उसके सभी फरिश्तों पर, उसकी सभी उन किताबों पर जो उसने नबियों पर उतारी और उसके भेजे हुए सभी रसूलों पर ईमान लाए। वे उनपर यह कहते हुए ईमान लाए : हम अल्लाह के रसूलों में से किसी के बीच भी अंतर नहीं करते। तथा उन लोगों ने कहा : हमने उसे सुना जिसका तूने हमें आदेश दिया और जिससे हमें मना किया, तथा जिस चीज़ का तूने आदेश दिया उसे अंजाम देकर और जिससे तूने मना किया उसे त्यागकर हमने तेरी आज्ञा का पालन किया। ऐ हमारे रब! हम तुझसे प्रार्थना करते हैं कि तू हमें क्षमा कर दे। क्योंकि हमारे सभी मामलों में हमारा लौटना केवल तेरी ही ओर है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
لَا یُكَلِّفُ اللّٰهُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا ؕ— لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَیْهَا مَا اكْتَسَبَتْ ؕ— رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَاۤ اِنْ نَّسِیْنَاۤ اَوْ اَخْطَاْنَا ۚ— رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَیْنَاۤ اِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهٗ عَلَی الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِنَا ۚ— رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهٖ ۚ— وَاعْفُ عَنَّا ۥ— وَاغْفِرْ لَنَا ۥ— وَارْحَمْنَا ۥ— اَنْتَ مَوْلٰىنَا فَانْصُرْنَا عَلَی الْقَوْمِ الْكٰفِرِیْنَ ۟۠
अल्लाह किसी प्राणी पर केवल उसी का भार डालता है जिसके करने में वह सक्षम हो।क्योंकि अल्लाह का दीन (धर्म) आसानी पर आधारित है, इसलिए उसमें कोई कठिनाई नहीं है। अतः जिसने अच्छा कार्य किया, उसे अपने किए का प्रतिफल मिलेगा, उसमें कोई कमी नहीं की जाएगी। तथा जिसना बुरा कार्य किया, उसे अपने किए हुए पाप का दंड मिलेगा, उसकी ओर से कोई दूसरा उसका भार नहीं उठाएगा। रसूल और ईमान वालों ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! अगर हम भूल गए हों या बिना इरादे के किसा कार्य या बात में हमसे कोई गलती हो गई हो, तो हमें सज़ा न दे। ऐ हमारे पालनहार! और हम पर उस चीज़ का भार न डाल, जो हमारे लिए कठिन हो और हम उसे सहन न कर सकें, जैसा कि तूने हमसे पहले उन लोगों पर भार डाला था, जिन्हें तूने उनके अत्याचार के कारण दंडित किया था, जैसे यहूदी लोग। तथा हमपर ऐसे आदेशों और निषेधों का बोझ न डाल, जो हमारे लिए कठिन हों और हम उन्हें करने में सक्षम न हों। तथा हमारे पापों को क्षमा कर दे और हमें माफ़ी प्रदान कर, तथा अपनी कृपा से हमपर दया कर। तू ही हमारा संरक्षक और सहायक है, अतः हमें काफ़िरों पर विजय प्रदान कर।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• جواز أخذ الرهن لضمان الحقوق في حال عدم القدرة على توثيق الحق، إلا إذا وَثِقَ المتعاملون بعضهم ببعض.
• अधिकारों का दस्तावेज़ीकरण करना संभव न होने की स्थिति में अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए गिरवी रखने की अनुमति है। सिवाय इसके कि लेन-देन करने वाले एक-दूसरे पर भरोसा करें।

• حرمة كتمان الشهادة وإثم من يكتمها ولا يؤديها.
• गवाही को छिपाने का निषेध और उन लोगों का पाप जो इसे छिपाते और इसका निष्पादन नहीं करते हैं।

• كمال علم الله تعالى واطلاعه على خلقه، وقدرته التامة على حسابهم على ما اكتسبوا من أعمال.
• अल्लाह का अपनी मख़्लूक़ का पूर्ण ज्ञान और उनसे अवगत होना, और उनके किए हुए कार्यों का हिसाब लेने पर उसकी पूर्ण क्षमता।

• تقرير أركان الإيمان وبيان أصوله.
• ईमान के अरकान (स्तंभों) का निर्धारण और उसके सिद्धांतों का बयान।

• قام هذا الدين على اليسر ورفع الحرج والمشقة عن العباد، فلا يكلفهم الله إلا ما يطيقون، ولا يحاسبهم على ما لا يستطيعون.
• यह धर्म आसानी तथा बंदों से तंगी और कठिनाई को दूर करने पर स्थापित है। इसलिए अल्लाह उनपर केवल उसी कार्य का भार डालता है, जिसे वे करने में सक्षम हैं, तथा उन्हें उस चीज़ के लिए जवाबदेह नहीं ठहराता, जिसे वे करने में असमर्थ हैं।

 
অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-বাক্বাৰাহ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

তাফছীৰ চেণ্টাৰ ফৰ কোৰানিক ষ্টাডিজৰ ফালৰ পৰা প্ৰচাৰিত।

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