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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-আহযাব   আয়াত:

अल्-अह़ज़ाब

ছুৰাৰ উদ্দেশ্য:
بيان عناية الله بنبيه صلى الله عليه وسلم، وحماية جنابه وأهل بيته.
अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए अल्लाह की देखभाल, तथा आपकी और आपके घर वालों की रक्षा करने का वर्णन।

یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ اتَّقِ اللّٰهَ وَلَا تُطِعِ الْكٰفِرِیْنَ وَالْمُنٰفِقِیْنَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِیْمًا حَكِیْمًا ۟ۙ
ऐ नबी! आप और आपके साथी, अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से दूर रहकर अल्लाह के तक़्वा पर जमे रहें और अकेले उसी से डरें, तथा काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों का उनकी इच्छाओं में पालन न करें। निश्चित रूप से अल्लाह काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों की चालों की ख़बर रखने वाला है, अपनी रचना और प्रबंधन में हिकमत वाला है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
وَّاتَّبِعْ مَا یُوْحٰۤی اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرًا ۟ۙ
आप उस वह़्य (प्रकाशना) का अनुसरण करें, जो आपका पालनहार आपपर अवतरित करता है। निश्चय अल्लाह तुम्हारे कर्मों से पूरी तरह अवगत है, उनमें से कुछ भी उससे नहीं छूटता। और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
وَّتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ وَكِیْلًا ۟
अपने सभी मामलों में अकेले अल्लाह पर भरोसा करें। तथा अल्लाह अपने बंदों में से उस व्यक्ति के लिए संरक्षक के रूप में काफ़ी है, जो उसपर भरोसा करता है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
مَا جَعَلَ اللّٰهُ لِرَجُلٍ مِّنْ قَلْبَیْنِ فِیْ جَوْفِهٖ ۚ— وَمَا جَعَلَ اَزْوَاجَكُمُ الّٰٓـِٔیْ تُظٰهِرُوْنَ مِنْهُنَّ اُمَّهٰتِكُمْ ۚ— وَمَا جَعَلَ اَدْعِیَآءَكُمْ اَبْنَآءَكُمْ ؕ— ذٰلِكُمْ قَوْلُكُمْ بِاَفْوَاهِكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَقُوْلُ الْحَقَّ وَهُوَ یَهْدِی السَّبِیْلَ ۟
अल्लाह ने एक आदमी के सीने में दो दिल नहीं बनाए, न ही उसने पत्नियों को निषेध (हराम होने) में माताओं के समान बनाया, और न ही उसने मुँह बोले बेटों (गोद लिए हुए पुत्रों) को सगे बेटों के समान बनाया। क्योंकि "ज़िहार" (अर्थात् किसी व्यक्ति का अपनी पत्नी को अपने ऊपर अपनी माँ और बहन के समान हराम कर लेना) और इसी तरह "मुँह बोला बेटा बनाना" (गोद लेना) : पूर्व-इस्लामिक रीति-रिवाजों में से हैं, जिन्हें इस्लाम ने अमान्य कर दिया है। यह 'ज़िहार' और 'मुँह बोला बेटा बनाना' एक कथन है, जिसे तुम अपने मुँह से दोहराते हो, इसमें कोई सच्चाई नहीं है। क्योंकि पत्नी न तो माँ है, और न ही मुँह बोला बेटा उस व्यक्ति का बेटा है, जिसने उसे बेटा बनाया है। अल्लाह तआला सत्य कहता है, ताकि उसके बंदे उस पर अमल करें, और वही सत्य के मार्ग की ओर रहनुमाई करता है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
اُدْعُوْهُمْ لِاٰبَآىِٕهِمْ هُوَ اَقْسَطُ عِنْدَ اللّٰهِ ۚ— فَاِنْ لَّمْ تَعْلَمُوْۤا اٰبَآءَهُمْ فَاِخْوَانُكُمْ فِی الدِّیْنِ وَمَوَالِیْكُمْ ؕ— وَلَیْسَ عَلَیْكُمْ جُنَاحٌ فِیْمَاۤ اَخْطَاْتُمْ بِهٖ وَلٰكِنْ مَّا تَعَمَّدَتْ قُلُوْبُكُمْ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
जिन्हें तुम अपना बेटा होने का दावा करते हो, उन्हें उनके असली बापों की ओर मनसूब करो। क्योंकि उन्हें उनकी ओर मनसूब करना ही अल्लाह के निकट न्यायसंगत है। यदि तुम्हें उनके पिता मालूम न हों, जिनकी ओर उन्हें मनसूब करो, तो वे तुम्हारे धार्मिक भाई और तुम्हारे गुलामी से आज़ाद किए हुए लोग हैं। तो उन्हें 'ऐ मेरे भाई' और 'ऐ मेरे भतीजे' कहकर पुकारो। यदि कोई व्यक्ति भूल से किसी मुँह बोले बेटे को उसके मुँह बोले बाप की ओर मनसूब करके बुला ले, तो कोई गुनाह नहीं है। बल्कि गुनाह उस समय है, जब जान-बूझकर बोला जाए। और अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को माफ़ करने वाला, उनपर दया करने वाला है कि भूल-चूक पर उनकी पकड़ नहीं करता।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
اَلنَّبِیُّ اَوْلٰی بِالْمُؤْمِنِیْنَ مِنْ اَنْفُسِهِمْ وَاَزْوَاجُهٗۤ اُمَّهٰتُهُمْ ؕ— وَاُولُوا الْاَرْحَامِ بَعْضُهُمْ اَوْلٰی بِبَعْضٍ فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُهٰجِرِیْنَ اِلَّاۤ اَنْ تَفْعَلُوْۤا اِلٰۤی اَوْلِیٰٓىِٕكُمْ مَّعْرُوْفًا ؕ— كَانَ ذٰلِكَ فِی الْكِتٰبِ مَسْطُوْرًا ۟
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, हर उस चीज़ के मामले में जिसकी ओर वह ईमान वालों को बुलाएँ, उन पर स्वयं उनके अपने प्राणों से भी अधिक हक़ रखने वाले हैं, भले ही उनके दिल दूसरों के प्रति झुकाव रखते हों। और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियाँ सभी ईमान वालों की माताओं के दर्जे में हैं। इसलिए किसी भी मोमिन के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मृत्यु के बाद उनमें से किसी से शादी करना हराम (निषिद्ध) है। और रिश्तेदार, अल्लाह के आदेश के अनुसार, विरासत के मामले में अन्य ईमान वालों और मुहाजिरों से आपस में एक-दूसरे पर अधिक हक़ रखने वाले हैं, जो इस्लाम की शुरुआत में आपस में एक-दूसरे का वारिस हुआ करते थे, फिर इस तरह से आपस में वारिस होने के नियम को निरस्त कर दिया गया। परंतु (ऐ ईमान वालो!) अगर तुम वारिसों के अलावा अपने अन्य दोस्तों के लिए कुछ धन की वसीयत करना तथा उनपर उपकार करना चाहो, तो तुम ऐसा कर सकते हो। यह आदेश लौह़े मह़फूज़ में अंकित है। इसलिए इसपर अमल करना ज़रूरी है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• لا أحد أكبر من أن يُؤْمر بالمعروف ويُنْهى عن المنكر.
• कोई भी इतना बड़ा नहीं है कि उसे भले काम का आदेश न दिया जाए और बुरे काम से रोका न जाए।

• رفع المؤاخذة بالخطأ عن هذه الأمة.
• भूल-चूक पर इस उम्मत की पकड़ न होना।

• وجوب تقديم مراد النبي صلى الله عليه وسلم على مراد الأنفس.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इच्छा को अपनी स्वयं की इच्छा पर प्राथमिकता देने की अनिवार्यता।

• بيان علو مكانة أزواج النبي صلى الله عليه وسلم، وحرمة نكاحهنَّ من بعده؛ لأنهن أمهات للمؤمنين.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों की उच्च स्थिति का वर्णन और आपके बाद उनके विवाह का निषेध। क्योंकि वे मोमिनों की माएँ हैं।

 
অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-আহযাব
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

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