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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-মায়িদাহ   আয়াত:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا قُمْتُمْ اِلَی الصَّلٰوةِ فَاغْسِلُوْا وُجُوْهَكُمْ وَاَیْدِیَكُمْ اِلَی الْمَرَافِقِ وَامْسَحُوْا بِرُءُوْسِكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ اِلَی الْكَعْبَیْنِ ؕ— وَاِنْ كُنْتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُوْا ؕ— وَاِنْ كُنْتُمْ مَّرْضٰۤی اَوْ عَلٰی سَفَرٍ اَوْ جَآءَ اَحَدٌ مِّنْكُمْ مِّنَ الْغَآىِٕطِ اَوْ لٰمَسْتُمُ النِّسَآءَ فَلَمْ تَجِدُوْا مَآءً فَتَیَمَّمُوْا صَعِیْدًا طَیِّبًا فَامْسَحُوْا بِوُجُوْهِكُمْ وَاَیْدِیْكُمْ مِّنْهُ ؕ— مَا یُرِیْدُ اللّٰهُ لِیَجْعَلَ عَلَیْكُمْ مِّنْ حَرَجٍ وَّلٰكِنْ یُّرِیْدُ لِیُطَهِّرَكُمْ وَلِیُتِمَّ نِعْمَتَهٗ عَلَیْكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! जब तुम नमाज़ अदा करने के लिए उठना चाहो, और तुम 'हदस-ए-असग़र' (छोटी नापाकी, बे-वुज़ू होने) की हालत में हो, तो वुज़ू कर लो, इस प्रकार कि अपने मुँह धो लो तथा अपने हाथों को कुहनियों समेत धो लो और अपने सिरों का मसह़ करो, तथा अपने पाँवों को टखनों समेत धो लो, जो पिंडली के जोड़ पर उभरे हुए होते हैं। यदि तुम 'हदस-ए-अकबर' (बड़ी नापाकी, जिसके लिए ग़ुस्ल की आवश्यता होती है) की हालत में हो, तो स्नान कर लो। तथा यदि तुम बीमार हो, तुम्हें बीमारी के बढ़ने या ठीक होने में देरी होने का डर है, या तुम स्वस्थ होने की स्थिति में यात्रा कर रहे हो, या तुम उदाहरण के तौर पर शौचकर्म के कारण 'हदस-ए-असग़र' (छोटी अशुद्धता) की हालत में हो, या महिलाओं के साथ संभोग करके 'हदस-ए-अकबर' (बड़ी अशुद्धता) की हालत में हो, और खोजने के बाद भी तुम्हें पानी न मिले - जिससे अपने आपको शुद्ध (पाक) कर सको -, तो ज़मीन की सतह (मिट्टी) का क़सद करो और उसपर अपने हाथों को मारो और (उन्हें) अपने चेहरों पर फेरो तथा अपने हाथों पर फेरो (यानी मसह़ करो)। अल्लाह तुम्हें पानी का उपयोग करने के लिए बाध्य करके, जो तुम्हें नुक़सान पहुँचाता है, अपने प्रावधानों में तुमपर तंगी नहीं करना चाहता है। इसलिए किसी बीमारी या पानी न मिलने के कारण उसका उपयोग दुर्लभ होने के समय उसने तुम्हारे लिए उसका एक विकल्प निर्धारित किया है, ताकि वह तुमपर अपना अनुग्रह पूरा कर दे, तथा तुम अपने ऊपर अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करो और उसकी नाशुक्री न करो।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
وَاذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ وَمِیْثَاقَهُ الَّذِیْ وَاثَقَكُمْ بِهٖۤ ۙ— اِذْ قُلْتُمْ سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا ؗ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۟
तथा अपने ऊपर अल्लाह के इस अनुग्रह को याद करो कि उसने तुम्हें इस्लाम का मार्गदर्शन प्रदान किया, और उसकी उस प्रतिज्ञा को याद करो, जो उसने तुमसे उस समय ली थी, जब तुमने नबी सल्लल्लाहू अलैहि व सल्लम से सुखद और अप्रिय चीज़ों में बात सुनने और मानने की बैअत करते हुए कहा था : 'हमने आपकी बात सुनी और हमने आपका आदेश मान लिया'। तथा अल्लाह के आदेशों (जिनमें उसके वचन भी हैं) का पालन करके तथा उसकी मना की हुई बातों से बचकर, उससे डरो। निश्चय अल्लाह जो कुछ दिलों में है उसे ख़ूब जानने वाला है, अतः उससे कोई भी चीज़ छिपी नहीं है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا كُوْنُوْا قَوّٰمِیْنَ لِلّٰهِ شُهَدَآءَ بِالْقِسْطِ ؗ— وَلَا یَجْرِمَنَّكُمْ شَنَاٰنُ قَوْمٍ عَلٰۤی اَلَّا تَعْدِلُوْا ؕ— اِعْدِلُوْا ۫— هُوَ اَقْرَبُ لِلتَّقْوٰی ؗ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ خَبِیْرٌ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟
ऐ लोगो जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए हो! अपने ऊपर अनिवार्य अल्लाह के अधिकारों का निष्पादन करो उसके द्वारा उसकी प्रसन्नता तलाश करते हुए, तथा न्याय के गवाह बनो, अन्याय के नहीं। किसी जाति की शत्रुता तुम्हें न्याय को त्यागने के लिए प्रेरित न करे। क्योंकि न्याय करना मित्र और शत्रु दोनों के साथ आवश्यक है। इसलिए उन दोनों के साथ न्याय करो। क्योंकि न्याय अल्लाह से डरने के अधिक निकट है, और अन्याय अल्लाह के विरुद्ध दुस्साहस के अधिक निकट है। तथा अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर, उससे डरो। तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर है। तुम्हारे कर्मों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है, और वह तुम्हें उसका प्रतिफल देगा।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
وَعَدَ اللّٰهُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ۙ— لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟
अल्लाह (जो अपना वादा नहीं तोड़ता) ने उन लोगों से वादा किया है, जो अल्लाह तथा उसके रसूलों पर ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए कि उनके पापों को क्षमा कर देगा और उन्हें बड़ा सवाब (प्रतिफल) प्रदान करेगा और वह जन्नत में प्रवेश है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• الأصل في الطهارة هو استعمال الماء بالوضوء من الحدث الأصغر، والغسل من الحدث الأكبر.
• शुद्धिकरण (तहारत) में मूल नियम यह है कि 'हदस-ए-असग़र' से वज़ू करने, तथा 'हदस-ए-अकबर' से स्नान करने के लिए पानी का उपयोग किया जाए।

• في حال تعذر الحصول على الماء، أو تعذّر استعماله لمرض مانع أو برد قارس، يشرع التيمم (بالتراب) لرفع حكم الحدث (الأصغر أو الأكبر).
• पानी की प्राप्ति संभव न होने, या किसी बाधक बीमारी या गंभीर सर्दी के कारण उसका उपयोग करना संभव न होने की स्थिति में, 'हदस-ए-असग़र' अथवा 'अकबर' के हुक्म को दूर करने के लिए मिट्टी से तयम्मुम करना धर्मसंगत है।

• الأمر بتوخي العدل واجتناب الجور حتى في معاملة المخالفين.
• उल्लंघन करने वालों से निपटने में भी न्याय का पालन करने और अन्याय से बचने का आदेश।

 
অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-মায়িদাহ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

তাফছীৰ চেণ্টাৰ ফৰ কোৰানিক ষ্টাডিজৰ ফালৰ পৰা প্ৰচাৰিত।

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