আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (51) ছুৰা: ছুৰা আল-আনআম
وَاَنْذِرْ بِهِ الَّذِیْنَ یَخَافُوْنَ اَنْ یُّحْشَرُوْۤا اِلٰی رَبِّهِمْ لَیْسَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ وَلِیٌّ وَّلَا شَفِیْعٌ لَّعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) इस क़ुरआन के द्वारा उन लोगों को डराएँ, जो इस बात का भय रखते हैं कि वे क़ियामत के दिन अपने रब के पास एकत्र किए जाएँगे, उनके लिए अल्लाह के अलावा कोई संरक्षक नहीं होगा जो उन्हें लाभ पहुँचाए, और न कोई सिफारिश करने वाला होगा, जो उनसे हानि को दूर कर सके। ताकि वे अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरें। क्योंकि यही लोगो हैं, जो क़ुरआन से लाभान्वित होते हैं।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• الأنبياء بشر، ليس لهم من خصائص الربوبية شيء البتة، ومهمَّتهم التبليغ، فهم لا يملكون تصرفًا في الكون، فلا يعلمون الغيب، ولا يملكون خزائن رزق ونحو ذلك.
• संदेष्टा मनुष्य होते हैं। उनके पास ईश्वरत्व की कोई विशेषता बिल्कुल नहीं होती। उनका मिशन केवल अल्लाह का संदेश पहुँचाना होता है। उनका ब्रह्मांड पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। चुनाँचे वे ग़ैब (अदृश्य) को नहीं जानते और न ही वे रोज़ी के खज़ानों आदि के मालिक होते हैं।

• اهتمام الداعية بأتباعه وخاصة أولئك الضعفاء الذين لا يبتغون سوى الحق، فعليه أن يقرِّبهم، ولا يقبل أن يبعدهم إرضاء للكفار.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाले को चाहिए कि अपने अनुयायियों का ख़याल रखे, खासकर उन कमज़ोर लोगों का जो केवल सत्य की इच्छा रखते हैं। इसलिए उसे चाहिए कि उन्हें अपने क़रीब लाए, और काफ़िरों को खुश करने के लिए उन्हें दूर रखना स्वीकार न करे।

• إشارة الآية إلى أهمية العبادات التي تقع أول النهار وآخره.
• इस आयत में दिन की शुरुआत और उसके अंत में होने वाली इबादतों के महत्व की ओर संकेत है।

 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (51) ছুৰা: ছুৰা আল-আনআম
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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