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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-মুমতাহিনাহ   আয়াত:
لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِیْهِمْ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ لِّمَنْ كَانَ یَرْجُوا اللّٰهَ وَالْیَوْمَ الْاٰخِرَ ؕ— وَمَنْ یَّتَوَلَّ فَاِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَنِیُّ الْحَمِیْدُ ۟۠
इस उत्तम आदर्श का पालन वही करेगा, जो दुनिया और आख़िरत में अल्लाह से भलाई की आशा रखता है। और जो इस उत्तम आदर्श से मुँह फेरेगा, तो अल्लाह अपने बंदों से बेनियाज़ है, उसे उनके आज्ञापालन की आवश्यकता नहीं है। तथा वह हर हाल में प्रशंसनीय है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
عَسَی اللّٰهُ اَنْ یَّجْعَلَ بَیْنَكُمْ وَبَیْنَ الَّذِیْنَ عَادَیْتُمْ مِّنْهُمْ مَّوَدَّةً ؕ— وَاللّٰهُ قَدِیْرٌ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
आशा है कि अल्लाह (ऐ मोमिनो) तुम्हारे बीच और उन काफ़िरों के बीच, जिनसे तुम बैर रखते हो, प्रेम उत्पन्न कर दे, इस प्रकार वह उन्हें इस्लाम का मार्गदर्शन प्रदान कर दे। फिर वे तुम्हारे इस्लामी भाई बन जाएँ। और अल्लाह बड़ा सामर्थ्यवान् है। वह इस बात का सामर्थ्य रखता है कि उनके दिलों को ईमान की ओर फेर दे। तथा अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
لَا یَنْهٰىكُمُ اللّٰهُ عَنِ الَّذِیْنَ لَمْ یُقَاتِلُوْكُمْ فِی الدِّیْنِ وَلَمْ یُخْرِجُوْكُمْ مِّنْ دِیَارِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْهُمْ وَتُقْسِطُوْۤا اِلَیْهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُقْسِطِیْنَ ۟
अल्लाह तुम्हें उन लोगों से नहीं रोकता, जिन्होंने तुमसे तुम्हारे मुसलमान होने के कारण युद्ध नहीं किया और तुम्हें तुम्हारे घरों से नहीं निकाला, कि तुम उनके साथ अच्छा व्यवहार करो और उनके बीच न्याय करते हुए उनका तुम्हारे ऊपर जो कुछ हक़ है उसे उन्हें दे दो। निश्चय अल्लाह उन न्याय करने वालों से प्रेम करता है, जो अपने आप में, अपने परिवारों में और जिनके वे ज़िम्मेदार होते हैं, उनके साथ न्याय करते हैं।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
اِنَّمَا یَنْهٰىكُمُ اللّٰهُ عَنِ الَّذِیْنَ قَاتَلُوْكُمْ فِی الدِّیْنِ وَاَخْرَجُوْكُمْ مِّنْ دِیَارِكُمْ وَظَاهَرُوْا عَلٰۤی اِخْرَاجِكُمْ اَنْ تَوَلَّوْهُمْ ۚ— وَمَنْ یَّتَوَلَّهُمْ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
अल्लाह केवल तुम्हें उन लोगों से मना करता है, जिन्होंने तुमसे तुम्हारे ईमान के कारण युद्ध किया, तुम्हें तुम्हारे घरों से निकाल दिया और तुम्हें बाहर निकालने में सहयोग किया; वह तुम्हें उनसे दोस्ती रखने से रोकता है। और तुममें से जो व्यक्ति उनसे दोस्ती करेगा, तो वही लोग अल्लाह के आदेश के उल्लंघन के कारण स्वयं को विनाश में डालकर अपने आप पर अत्याचार करने वाले हैं।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا جَآءَكُمُ الْمُؤْمِنٰتُ مُهٰجِرٰتٍ فَامْتَحِنُوْهُنَّ ؕ— اَللّٰهُ اَعْلَمُ بِاِیْمَانِهِنَّ ۚ— فَاِنْ عَلِمْتُمُوْهُنَّ مُؤْمِنٰتٍ فَلَا تَرْجِعُوْهُنَّ اِلَی الْكُفَّارِ ؕ— لَا هُنَّ حِلٌّ لَّهُمْ وَلَا هُمْ یَحِلُّوْنَ لَهُنَّ ؕ— وَاٰتُوْهُمْ مَّاۤ اَنْفَقُوْا ؕ— وَلَا جُنَاحَ عَلَیْكُمْ اَنْ تَنْكِحُوْهُنَّ اِذَاۤ اٰتَیْتُمُوْهُنَّ اُجُوْرَهُنَّ ؕ— وَلَا تُمْسِكُوْا بِعِصَمِ الْكَوَافِرِ وَسْـَٔلُوْا مَاۤ اَنْفَقْتُمْ وَلْیَسْـَٔلُوْا مَاۤ اَنْفَقُوْا ؕ— ذٰلِكُمْ حُكْمُ اللّٰهِ ؕ— یَحْكُمُ بَیْنَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! जब तुम्हारे पास मोमिन स्त्रियाँ कुफ़्र की धरती से इस्लाम की धरती की ओर हिजरत करके आ जाएँ, तो उन्हें जाँच लिया करो कि उनका ईमान सच्चा है या नहीं। अल्लाह उनके ईमान को अधिक जानता है। उनके दिलों में जो कुछ भी है उससे छिपा नहीं है। अगर परीक्षण के बाद उनकी सच्चाई ज़ाहिर हो जाए और तुम जान लो कि वे मोमिन हैं, तो उन्हें उनके काफ़िर पतियों की ओर न लौटाओ। मोमिन स्त्रियों के लिए वैध नहीं है कि काफ़िरों से निकाह करें तथा काफ़िरों के लिए वैध नहीं है कि मोमिन स्त्रियों से निकाह करें। तथा उनके (काफ़िर) पतियों को वह महर दे दो, जो उन्होंने अपनी स्त्रियों पर खर्च किया था। और (ऐ ईमान वालो!) तुमपर कोई गुनाह नहीं है कि उनकी इद्दत गुज़र जाने के बाद उनसे निकाह कर लो, जब तुम उन्हें उनका महर दे दो। और जिसकी पत्नी काफ़िर हो या इस्लाम से फिर गई हो, तो वह उसे अपने पास न रखे। क्योंकि उसके कुफ़्र के कारण उन दोनों का निकाह बाधित हो गया। और काफ़िरों से अपनी इस्लाम से फिर जाने वाली पत्नियों पर खर्च किया हुआ महर माँग लो, तथा वे भी अपनी इस्लाम ग्रहण करने वाली स्त्रियों पर खर्च किया हुआ महर माँग लें। यह (तुम्हारी तथा उनकी ओर से महर की वापसी) अल्लाह का निर्णय है। वह तुम्हारे बीच जो चाहता है, निर्णय करता है। और अल्लाह अपने बंदों की स्थितियों और उनके कार्यों से खूब अवगत है। उनमें से कोई भी चीज़ उससे छिपी नहीं है। वह अपने बंदों के लिए जो नियम बनाता है, उसमें हिकमत वाला है।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
وَاِنْ فَاتَكُمْ شَیْءٌ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْ اِلَی الْكُفَّارِ فَعَاقَبْتُمْ فَاٰتُوا الَّذِیْنَ ذَهَبَتْ اَزْوَاجُهُمْ مِّثْلَ مَاۤ اَنْفَقُوْا ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِیْۤ اَنْتُمْ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ ۟
और अगर ऐसा हो कि तुम्हारी कुछ स्त्रियाँ इस्लाम को त्यागकर काफ़िरों की ओर चली जाएँ, और तुम काफ़िरों से उनका महर माँगो और वे उसे न दें। फिर तुम्हें काफ़िरों से ग़नीमत का धन प्राप्त हो, तो इस्लाम को त्यागकर जाने वाली स्त्रियों के पतियों को उनके खर्च किए हुए महर के बराबर धन दे दो। और अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई चीज़ों से बचकर, डरते रहो, जिसपर तुम ईमान रखते हो।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• في تصريف الله القلب من العداوة إلى المودة، ومن الكفر إلى الإيمان إشارة إلى أن قلوب العباد بين إصبعين من أصابعه سبحانه، فليطلب العبد منه الثبات على الإيمان.
• अल्लाह के दिल को दुश्मनी से दोस्ती की ओर और ईमान से कुफ़्र की ओर फेरने में इस बात की ओर संकेत है कि बंदों के दिल अल्लाह की दो उंगलियों के बीच हैं। इसलिए बंदे को चाहिए कि अल्लाह से ईमान पर स्थिरता की याचना करे।

• التفريق في الحكم بين الكفار المحاربين والمسالمين.
• मुसलमानों से युद्धरत काफ़िरों और शांतिपूर्ण काफ़िरों के बीच अंतर किया गया है।

• حرمة الزواج بالكافرة غير الكتابية ابتداءً ودوامًا، وحرمة زواج المسلمة من كافر ابتداءً ودوامًا.
• मुसलमान पुरुष का काफ़िर स्त्री से, जो यहूदी या ईसाई न हो, न निकाह हो सकता है और न बाक़ी रह सकता है और इसी तरह किसी मुसलमान स्त्री का काफ़िर से न निकाह हो सकता और न बाकी रह सकता है।

 
অৰ্থানুবাদ ছুৰা: আল-মুমতাহিনাহ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

তাফছীৰ চেণ্টাৰ ফৰ কোৰানিক ষ্টাডিজৰ ফালৰ পৰা প্ৰচাৰিত।

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