আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (5) ছুৰা: ছুৰা আল-জুমুআহ
مَثَلُ الَّذِیْنَ حُمِّلُوا التَّوْرٰىةَ ثُمَّ لَمْ یَحْمِلُوْهَا كَمَثَلِ الْحِمَارِ یَحْمِلُ اَسْفَارًا ؕ— بِئْسَ مَثَلُ الْقَوْمِ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
उन यहूदियों का उदाहरण, जिन्हें तौरात की शिक्षाओं पर अमल करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, परंतु वे उसे छोड़ बैठे, जिसकी उन्हें ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, उस गधे के समान है, जो बड़ी-बड़ी किताबें लादे हुए हो, वह नहीं जानता कि उसकी पीठ पर क्या लदा हुआ है : क्या वह किताबें हैं या कुछ और? बहुत बुरा उदाहरण है उन लोगों का, जिन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया। और अल्लाह अत्याचारी लोगों को सत्य तक पहुँचने का सामर्थ्य नहीं देता।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• عظم منة النبي صلى الله عليه وسلم على البشرية عامة وعلى العرب خصوصًا، حيث كانوا في جاهلية وضياع.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सामान्य रूप से मानवता पर और विशेष रूप से अरबों पर महान उपकार है, क्योंकि वे अज्ञानता और बर्बादी में थे।

• الهداية فضل من الله وحده، تطلب منه وتستجلب بطاعته.
• मार्गदर्शन केवल अल्लाह का एक एहसान है। उसी से मांगा जाएगा और उसी की आज्ञाकारिता से प्राप्त किया जाएगा।

• تكذيب دعوى اليهود أنهم أولياء الله؛ بتحدّيهم أن يتمنوا الموت إن كانوا صادقين في دعواهم لأن الولي يشتاق لحبيبه.
• यहूदियों को मृत्यु की कामना करने के लिए चुनौती देकर, उनके इस दावे का खंडन किया गया है कि वे अल्लाह के दोस्त हैं, क्योंकि एक दोस्त अपने प्रिय के लिए इच्छुक होता है।

 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (5) ছুৰা: ছুৰা আল-জুমুআহ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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