আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (106) ছুৰা: ছুৰা আল-আ'ৰাফ
قَالَ اِنْ كُنْتَ جِئْتَ بِاٰیَةٍ فَاْتِ بِهَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
फ़िरऔन ने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : यदि तुम कोई प्रमाण (चमत्कार) लेकर आए हो, जैसा कि तुम्हारा दावा है, तो उसे प्रस्तुत करो, यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• من حكمة الله ورحمته أن جعل آية كل نبي مما يدركه قومه، وقد تكون من جنس ما برعوا فيه.
• यह अल्लाह की हिकमत तथा दया में से है कि उसने हर नबी को ऐसी निशानी प्रदान की, जाे उनकी जाति की समझ में आ सके। तथा कभी-कभी निशानी ऐसी होती है जिसमें उस जाति के लोग माहिर होते हैं।

• أنّ فرعون كان عبدًا ذليلًا مهينًا عاجزًا، وإلا لما احتاج إلى الاستعانة بالسحرة في دفع موسى عليه السلام.
• वास्तव में फिरऔन एक अपमानित, तुच्छ और असहाय बंदा था। अन्यथा उसे मूसा अलैहिस्सलाम का मुक़ाबला करने के लिए जादूगरों की मदद लेने की आवश्यकता न पड़ती।

• يدل على ضعف السحرة - مع اتصالهم بالشياطين التي تلبي مطالبهم - طلبهم الأجر والجاه عند فرعون.
• जादूगरों का फिरऔन से इनाम और पद-प्रतिष्ठा का अनुरोध करना (जबकि शैतानों के साथ उनके संपर्क होते हैं, जो उनकी माँगों को पूरा करते हैं) उनकी कमज़ोरी को इंगित करता है।

 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (106) ছুৰা: ছুৰা আল-আ'ৰাফ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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