আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দী অনুবাদ * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

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অৰ্থানুবাদ আয়াত: (51) ছুৰা: ছুৰা ইউছুফ
قَالَ مَا خَطْبُكُنَّ اِذْ رَاوَدْتُّنَّ یُوْسُفَ عَنْ نَّفْسِهٖ ؕ— قُلْنَ حَاشَ لِلّٰهِ مَا عَلِمْنَا عَلَیْهِ مِنْ سُوْٓءٍ ؕ— قَالَتِ امْرَاَتُ الْعَزِیْزِ الْـٰٔنَ حَصْحَصَ الْحَقُّ ؗ— اَنَا رَاوَدْتُّهٗ عَنْ نَّفْسِهٖ وَاِنَّهٗ لَمِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
राजा ने (उन स्त्रियों से) पूछा : तुम्हारा क्या मामला था, जब तुमने यूसुफ़ के मन को रिझाया था? उन्होंने कहा : अल्लाह की पनाह! हमने उसमें कोई बुराई नहीं देखी। तब अज़ीज़ की पत्नी बोल उठी : अब सत्य खूब उजागर हो गया। मैंने ही उसके मन को रिझाया था और निःसंदेह वह सच्चा में से है।[15]
15. यह क़ुरआन का बड़ा उपकार है कि उसने रसूलों तथा नबियों पर लगाए गए बहुत-से आरोपों का निवारण कर दिया है, जिसे अह्ले किताब (यहूदी तथा ईसाई) ने यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) के विषय में बहुत सी निर्मूल बातें गढ़ ली थीं, जिनको क़ुरआन ने आकर साफ़ कर दिया।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (51) ছুৰা: ছুৰা ইউছুফ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দী অনুবাদ - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

হিন্দী ভাষাত কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ- অনুবাদ কৰিছে আঝীঝুল হক ওমৰী।

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