আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দী অনুবাদ * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

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অৰ্থানুবাদ আয়াত: (6) ছুৰা: ছুৰা আল-আহযাব
اَلنَّبِیُّ اَوْلٰی بِالْمُؤْمِنِیْنَ مِنْ اَنْفُسِهِمْ وَاَزْوَاجُهٗۤ اُمَّهٰتُهُمْ ؕ— وَاُولُوا الْاَرْحَامِ بَعْضُهُمْ اَوْلٰی بِبَعْضٍ فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُهٰجِرِیْنَ اِلَّاۤ اَنْ تَفْعَلُوْۤا اِلٰۤی اَوْلِیٰٓىِٕكُمْ مَّعْرُوْفًا ؕ— كَانَ ذٰلِكَ فِی الْكِتٰبِ مَسْطُوْرًا ۟
यह नबी[3] ईमान वालों पर उनके अपने प्राणों से अधिक हक़ रखने वाले हैं। और नबी की पत्नियाँ उनकी माताएँ[4] हैं। और रिश्तेदार, अल्लाह की किताब के अनुसार, (अन्य) ईमान वालों और मुहाजिरों से एक-दूसरे के अधिक हक़दार[5] हैं। सिवाय इसके कि तुम अपने मित्रों के साथ कोई भलाई करो। यह पुस्तक में लिखा हुआ है।
3. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा : मैं मोमिनों का अधिक हक़दार हूँ। चाहो तो यह आयत पढ़ लो। अतः जो मोमिन माल छोड़ जाए, वह उसके वारिस का है और जो क़र्ज़ तथा निर्बल संतान छोड़ जाए, तो मैं उसका रक्षक हूँ। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4781) 4. अर्थात उनका सम्मान माताओं के बराबर है और आपके पश्चात् उनसे विवाह निषिद्ध है। 5. अर्थात धर्म विधानानुसार उत्तराधिकार समीपवर्ती संबंधियों का है। इस्लाम के आरंभिक युग में हिजरत तथा ईमान के आधार पर एक-दूसरे के उत्तराधिकारी होते थे जिसे मीरास की आयत द्वारा निरस्त कर दिया गया।
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অৰ্থানুবাদ আয়াত: (6) ছুৰা: ছুৰা আল-আহযাব
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দী অনুবাদ - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

হিন্দী ভাষাত কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ- অনুবাদ কৰিছে আঝীঝুল হক ওমৰী।

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