আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দী অনুবাদ * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

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অৰ্থানুবাদ আয়াত: (129) ছুৰা: ছুৰা আন-নিছা
وَلَنْ تَسْتَطِیْعُوْۤا اَنْ تَعْدِلُوْا بَیْنَ النِّسَآءِ وَلَوْ حَرَصْتُمْ فَلَا تَمِیْلُوْا كُلَّ الْمَیْلِ فَتَذَرُوْهَا كَالْمُعَلَّقَةِ ؕ— وَاِنْ تُصْلِحُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
और तुम पत्नियों के बीच पूर्ण न्याय कदापि नहीं कर[83] सकते, चाहे तुम इसके कितने ही इच्छुक हो। अतः (अवांछित पत्नी से) पूरी तरह विमुख[84] न हो जाओ कि उसे अधर में लटकी हुई छोड़ दो। और यदि तुम आपस में सामंजस्य[85] बना लो और (अल्लाह से) डरते रहो, तो निःसंदेह अल्लाह क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान है।
83. क्योंकि यह स्वभाविक है कि मन का आकर्षण किसी एक की ओर होगा। 84. अर्थात जिसमें उसके पति की रूचि न हो, और न व्यवहारिक रूप से बिना पति के हो। 85. अर्थात सब के साथ व्यवहार तथा सहवास संबंध में बराबरी करो।
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (129) ছুৰা: ছুৰা আন-নিছা
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দী অনুবাদ - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

হিন্দী ভাষাত কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ- অনুবাদ কৰিছে আঝীঝুল হক ওমৰী।

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