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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (12) ছুৰা: ইউনুছ
وَاِذَا مَسَّ الْاِنْسَانَ الضُّرُّ دَعَانَا لِجَنْۢبِهٖۤ اَوْ قَاعِدًا اَوْ قَآىِٕمًا ۚ— فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُ ضُرَّهٗ مَرَّ كَاَنْ لَّمْ یَدْعُنَاۤ اِلٰی ضُرٍّ مَّسَّهٗ ؕ— كَذٰلِكَ زُیِّنَ لِلْمُسْرِفِیْنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
१२. आणि जेव्हा माणसाला एखादी दुःख-यातना पोहोचते, तेव्हा आम्हाला पुकारतो, पहुडलेल्या स्थितीतही, बसलेल्या स्थितीतही, उभा असतानाही. मग जेव्हा आम्ही त्याची दुःख-यातना दूर करतो, तेव्हा तो असा होतो की जणू त्याने आपल्याला पोहोचलेल्या दुःख-यातनेकरिता आम्हाला कधी पुकारलेच नव्हते१ या मर्यादा ओलांडणाऱ्यांची कर्मे त्याच्याकरिता त्याचप्रमाणे मनपसंत बनविली गेली आहेत.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (12) ছুৰা: ইউনুছ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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