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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (68) ছুৰা: ইউছুফ
وَلَمَّا دَخَلُوْا مِنْ حَیْثُ اَمَرَهُمْ اَبُوْهُمْ ؕ— مَا كَانَ یُغْنِیْ عَنْهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ شَیْءٍ اِلَّا حَاجَةً فِیْ نَفْسِ یَعْقُوْبَ قَضٰىهَا ؕ— وَاِنَّهٗ لَذُوْ عِلْمٍ لِّمَا عَلَّمْنٰهُ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
६८. आणि जेव्हा ते त्याच मार्गांनी, ज्यांचा आदेश त्यांच्या पित्याने दिला होता, गेले, काहीच नव्हते की अल्लाहने जी गोष्ट निश्चित केली आहे, तिच्यापासून ते त्यांना किंचितही वाचवतील. तथापि याकूबच्या मनात एक विचार आला, जो त्याने पूर्ण केला. निःसंशय ते आम्ही शिकविलेल्या त्या ज्ञानाने संपन्न होते, परंतु अधिकांश लोक जाणत नाहीत.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (68) ছুৰা: ইউছুফ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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