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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (11) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
لَهٗ مُعَقِّبٰتٌ مِّنْ بَیْنِ یَدَیْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ یَحْفَظُوْنَهٗ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُغَیِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتّٰی یُغَیِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْ ؕ— وَاِذَاۤ اَرَادَ اللّٰهُ بِقَوْمٍ سُوْٓءًا فَلَا مَرَدَّ لَهٗ ۚ— وَمَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّالٍ ۟
११. त्याचे संरक्षक मानवाच्या पुढे मागे तैनात आहेत, जे अल्लाहच्या आदेशाने त्याचे रक्षण करतात. एखाद्या जनसमूहाची अवस्था सर्वश्रेष्ठ अल्लाह तोपर्यंत बदलत नाही, जोपर्यंत तो स्वतः बदलत नाही, जे त्यांच्या मनात आहे. सर्वश्रेष्ठ अल्लाह जेव्हा एखाद्या जनसमूहाला सजा देण्याचा निर्णय घेतो, तेव्हा तो निर्णय बदलत नाही आणि त्याच्याखेरीज कोणीही त्यांचा मदतकर्ता नाही.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (11) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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