Check out the new design

আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (30) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
كَذٰلِكَ اَرْسَلْنٰكَ فِیْۤ اُمَّةٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهَاۤ اُمَمٌ لِّتَتْلُوَاۡ عَلَیْهِمُ الَّذِیْۤ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ وَهُمْ یَكْفُرُوْنَ بِالرَّحْمٰنِ ؕ— قُلْ هُوَ رَبِّیْ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ وَاِلَیْهِ مَتَابِ ۟
३०. त्याच प्रकारे आम्ही तुम्हाला त्या जनसमूहात पाठविले, ज्यात यापूर्वी अनेक जनसमूह होऊन गेलेत, यासाठी की तुम्ही त्यांना, आमच्यातर्फे जी वहयी (प्रकाशना) तुमच्यावर अवतरित केली आहे, वाचून ऐकवा. हे लोक परम दयाळू (रहमान) अल्लाहचा इन्कार करणारे आहेत. तुम्ही सांगा, माझा स्वामी व पालनकर्ता तर तोच आहे, निःसंशय, त्याच्याखेरीज कोणीही उपासनेस पात्र नाही. त्याच्यावरच माझा भरोसा आहे आणि त्याच्याचकडे मला परत जायचे आहे.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (30) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

বন্ধ