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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (31) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
وَلَوْ اَنَّ قُرْاٰنًا سُیِّرَتْ بِهِ الْجِبَالُ اَوْ قُطِّعَتْ بِهِ الْاَرْضُ اَوْ كُلِّمَ بِهِ الْمَوْتٰی ؕ— بَلْ لِّلّٰهِ الْاَمْرُ جَمِیْعًا ؕ— اَفَلَمْ یَایْـَٔسِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنْ لَّوْ یَشَآءُ اللّٰهُ لَهَدَی النَّاسَ جَمِیْعًا ؕ— وَلَا یَزَالُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا تُصِیْبُهُمْ بِمَا صَنَعُوْا قَارِعَةٌ اَوْ تَحُلُّ قَرِیْبًا مِّنْ دَارِهِمْ حَتّٰی یَاْتِیَ وَعْدُ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُخْلِفُ الْمِیْعَادَ ۟۠
३१. आणि जर (गृहीत धरले की) कुरआनद्वारे पर्वत चालविले गेले असते किंवा जमिनीचे तुकडे तुकडे केले गेले असते किंवा मेलेल्या लोकांशी संभाषण करविले गेले असते (तरीही त्यांनी ईमान राखले नसते). खरी गोष्ट अशी की समस्त कार्ये अल्लाहच्याच हाती आहेत, तेव्हा काय ईमान राखणाऱ्यांचे मन या गोष्टीवर संतुष्ट होत नाही की जर अल्लाहने इच्छिले तर समस्त लोकांना सरळ मार्गावर आणील. ईमान न राखणाऱ्याला तर त्यांच्या इन्कारापायी नेहमी कोणती न कोणती सक्त सजा मिळतच राहील, किंवा त्यांच्या घरांच्या जवळपास उतरत राहील. येथेपर्यंत की अल्लाहचा वायदा येऊन पोहोचेल. निःसंशय सर्वश्रेष्ठ अल्लाह वायद्याविरूद्ध जात नाही.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (31) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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