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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (36) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
وَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَفْرَحُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمِنَ الْاَحْزَابِ مَنْ یُّنْكِرُ بَعْضَهٗ ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ وَلَاۤ اُشْرِكَ بِهٖ ؕ— اِلَیْهِ اَدْعُوْا وَاِلَیْهِ مَاٰبِ ۟
३६. आणि ज्यांना आम्ही ग्रंथ प्रदान केला आहे, ते तर त्याद्वारे खूप आनंदित होतात, जे काही तुमच्यावर अवतरित केले जाते आणि इतर संप्रदाय, त्यातल्या काही गोष्टींना मान्य करीत नाही. तुम्ही त्यांना सांगून टाका की मला तर केवळ हाच आदेश दिला गेला आहे की मी अल्लाहची उपासना करावी आणि त्याच्यासोबत कोणाला भागीदार न बनवावे, मी त्याच्याचकडे बोलवित आहे आणि त्याच्याचकडे मला परतून जायचे आहे.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (36) ছুৰা: আৰ-ৰাআদ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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