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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (145) ছুৰা: আল-বাক্বাৰাহ
وَلَىِٕنْ اَتَیْتَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ بِكُلِّ اٰیَةٍ مَّا تَبِعُوْا قِبْلَتَكَ ۚ— وَمَاۤ اَنْتَ بِتَابِعٍ قِبْلَتَهُمْ ۚ— وَمَا بَعْضُهُمْ بِتَابِعٍ قِبْلَةَ بَعْضٍ ؕ— وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَآءَهُمْ مِّنْ بَعْدِ مَا جَآءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ— اِنَّكَ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۘ
१४५. आणि तुम्ही जर ग्रंथधारकांना सर्व पुरावे सादर करून द्याल, तरीही ते तुमच्या किब्लाचे अनुसरण करणार नाहीत आणि ना तुम्ही त्याचा किब्ला मान्य करणारे व्हाल, ना हे आपसात एकमेकांचा किब्ला मानणारे आहेत. तुमच्याजवळ स्पष्ट ज्ञान येऊन पोहोचल्यानंतरही जर तुम्ही त्यांच्या इच्छा-आकांक्षा पूर्ण करण्यासाठी त्यांचे अनुसरण करू लागाल तर निश्चितच तुम्हीदेखील अत्याचारी ठराल.१
(१) ही ताकीद यापूर्वी दिली गेली आहे. हेतु मुस्लिम जनसमूहाला सावध करणे आहे की कुरआन आणि हदीसचे ज्ञान प्राप्त झाल्यावरही बिदअतवाल्यांच्या मागे लागणे अत्याचार आणि भटकणे होय.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (145) ছুৰা: আল-বাক্বাৰাহ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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