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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (40) ছুৰা: আন-নামল
قَالَ الَّذِیْ عِنْدَهٗ عِلْمٌ مِّنَ الْكِتٰبِ اَنَا اٰتِیْكَ بِهٖ قَبْلَ اَنْ یَّرْتَدَّ اِلَیْكَ طَرْفُكَ ؕ— فَلَمَّا رَاٰهُ مُسْتَقِرًّا عِنْدَهٗ قَالَ هٰذَا مِنْ فَضْلِ رَبِّیْ ۫— لِیَبْلُوَنِیْۤ ءَاَشْكُرُ اَمْ اَكْفُرُ ؕ— وَمَنْ شَكَرَ فَاِنَّمَا یَشْكُرُ لِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ كَفَرَ فَاِنَّ رَبِّیْ غَنِیٌّ كَرِیْمٌ ۟
४०. ज्याच्याजवळ ग्रंथाचे ज्ञान होते, तो म्हणाले, की तुमची पापणी लवण्यापूर्वीच मी त्यास तुमच्याजवळ पोहचवू शकतो. जेव्हा पैगंबर (सुलेमान) ने ते (सिंहासन) आपल्याजवळ हजर असलेले पाहिले, तेव्हा म्हणाले, हा माझ्या पालनकर्त्याचा उपकार आहे. यासाठी की त्याने माझी कसोटी घ्यावी की मी कृतज्ञता दर्शवितो की कृतघ्नता. कृतज्ञता व्यक्त करणारा आपल्या फायद्यासाठीच कृतज्ञता व्यक्त करतो. आणि जो कृतघ्नता दर्शवील तर माझा पालनकर्ता मोठा निःस्पृह आणि मोठा मेहेरबान आहे.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (40) ছুৰা: আন-নামল
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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