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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (57) ছুৰা: আল-ক্বাচাচ
وَقَالُوْۤا اِنْ نَّتَّبِعِ الْهُدٰی مَعَكَ نُتَخَطَّفْ مِنْ اَرْضِنَا ؕ— اَوَلَمْ نُمَكِّنْ لَّهُمْ حَرَمًا اٰمِنًا یُّجْبٰۤی اِلَیْهِ ثَمَرٰتُ كُلِّ شَیْءٍ رِّزْقًا مِّنْ لَّدُنَّا وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
५७. आणि म्हणू लागले की जर आम्ही आपल्यासोबत मार्गदर्शनाचे अनुसरण करू लागलो तर आमचे, आमच्या भूमी (देशा) तून उच्चाटन केले जाईल. काय आम्ही त्यांना शांत व सुरिक्षत आणि आदर सन्मानपूर्ण हरममध्ये जागा नाही दिली, जिथे प्रत्येक प्रकारचे फळ आकर्षित होऊन चालत येते जे आमच्याकडून आजिविका स्वरूपात आहे? तथापि त्यांच्यापैकी अधिकांश लोक काही जाणत नाही.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (57) ছুৰা: আল-ক্বাচাচ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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