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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (75) ছুৰা: আলে ইমৰাণ
وَمِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ مَنْ اِنْ تَاْمَنْهُ بِقِنْطَارٍ یُّؤَدِّهٖۤ اِلَیْكَ ۚ— وَمِنْهُمْ مَّنْ اِنْ تَاْمَنْهُ بِدِیْنَارٍ لَّا یُؤَدِّهٖۤ اِلَیْكَ اِلَّا مَا دُمْتَ عَلَیْهِ قَآىِٕمًا ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْا لَیْسَ عَلَیْنَا فِی الْاُمِّیّٖنَ سَبِیْلٌ ۚ— وَیَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ وَهُمْ یَعْلَمُوْنَ ۟
७५. आणि काही ग्रंथधारक असेही आहेत की तुम्ही त्यांना खजीन्याचे विश्वस्त बनवाल तरीही तुम्हाला परत करतील आणि त्यांच्यापैकी काही असेही आहेत की जर तुम्ही त्यांना एक दिनारही ठेव म्हणून द्याल तर जोपर्यंत तुम्ही त्यांच्या डोक्यावर उभे न राहाल तोपर्यंत तुम्हाला परत करणार नाहीत. हे अशासाठी की त्यांनी सांगून ठेवले आहे की या अशिक्षितांचा हक्क मारण्यात आमच्यावर काहीच गुन्हा नाही. हे लोक जाणून घेतल्यानंतरही अल्लाहच्या संबंधाने खोटे बोलतात.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (75) ছুৰা: আলে ইমৰাণ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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