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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (14) ছুৰা: ছাবা
فَلَمَّا قَضَیْنَا عَلَیْهِ الْمَوْتَ مَا دَلَّهُمْ عَلٰی مَوْتِهٖۤ اِلَّا دَآبَّةُ الْاَرْضِ تَاْكُلُ مِنْسَاَتَهٗ ۚ— فَلَمَّا خَرَّ تَبَیَّنَتِ الْجِنُّ اَنْ لَّوْ كَانُوْا یَعْلَمُوْنَ الْغَیْبَ مَا لَبِثُوْا فِی الْعَذَابِ الْمُهِیْنِ ۟
१४. मग जेव्हा आम्ही त्यांच्यावर मृत्युचा आदेश पाठविला, तेव्हा ती खबर (जिन्नांना) कोणीही दिली नाही, वाळवीच्या किड्याखेरीज, जो त्यांची लाठी खात होता. तर जेव्हा (सुलेमान) खाली कोसळले, त्या क्षणी जिन्नांनी जाणून घेतले की जर ते अपरोक्ष ज्ञान बाळगत असते तर या अपमानाच्या शिक्षेत पडून राहिले नसते.१
(१) हजरत सुलेमान यांच्या काळात जिन्नांविषयी ही धारणा प्रसिद्ध होती की ते अपरोक्षाचे ज्ञान बाळगतात. अल्लाहने हजरत सुलेमानच्या माध्यमाने या भ्रमाचे पितळ उघडकीस आणले.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (14) ছুৰা: ছাবা
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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