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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (14) ছুৰা: ফাতিৰ
اِنْ تَدْعُوْهُمْ لَا یَسْمَعُوْا دُعَآءَكُمْ ۚ— وَلَوْ سَمِعُوْا مَا اسْتَجَابُوْا لَكُمْ ؕ— وَیَوْمَ الْقِیٰمَةِ یَكْفُرُوْنَ بِشِرْكِكُمْ ؕ— وَلَا یُنَبِّئُكَ مِثْلُ خَبِیْرٍ ۟۠
१४. जर तुम्ही त्यांना पुकाराल तर ते तुमची पुकार ऐकणारच नाहीत. आणि जर (समजा) ऐकूनही घेतील तर कबूल करणार नाहीत. किंबहुना कयामतच्या दिवशी तुमच्या शिर्क (अनेकईश्वरउपासना ) चा साफ इन्कार करतील१ आणि तुम्हाला कोणीही अल्लाहसारखा जाणकार (वास्तवपूर्ण) खबरी देणार नाही.
(१) या आयतीद्वारे हेही कळून येते की अल्लाहखेरीज ज्यांची भक्ती उपासना केली जाते, त्या सर्व पाषाणाच्या मूर्त्याच नसतील, किंबहुना समज राखणारे (फरिश्ते, जिन्न, सैतान आणि नेक लोक) देखील असतील तेव्हा तेही इन्कार करतील आणि हेही कळाले की त्यांना गरजपूर्तीकरिता पुकारणे शिर्क आहे.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (14) ছুৰা: ফাতিৰ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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