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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (8) ছুৰা: ফাতিৰ
اَفَمَنْ زُیِّنَ لَهٗ سُوْٓءُ عَمَلِهٖ فَرَاٰهُ حَسَنًا ؕ— فَاِنَّ اللّٰهَ یُضِلُّ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ۖؗ— فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَیْهِمْ حَسَرٰتٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌۢ بِمَا یَصْنَعُوْنَ ۟
८. काय तो मनुष्य, ज्याच्याकरिता त्याची दुष्कर्मे सुशोभित केली गेली आहेत तर तो त्यां (कर्मां) ना चांगले समजतो (काय तो मार्गदर्शन प्राप्त करणाऱ्या माणसा समान आहे?) (निश्चितच) अल्लाह ज्याला इच्छितो, मार्गभ्रष्ट करतो, आणि ज्याला इच्छितो मार्ग दाखवितो. तेव्हा तुम्ही त्यांच्याबद्दल दुःखी कष्टी होऊन आपला जीव कष्ट यातनेत टाकू नये. हे लोक जे काही करीत आहेत निःसंशय, अल्लाह ते चांगल्या प्रकारे जाणतो.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (8) ছুৰা: ফাতিৰ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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