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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (140) ছুৰা: আন-নিছা
وَقَدْ نَزَّلَ عَلَیْكُمْ فِی الْكِتٰبِ اَنْ اِذَا سَمِعْتُمْ اٰیٰتِ اللّٰهِ یُكْفَرُ بِهَا وَیُسْتَهْزَاُ بِهَا فَلَا تَقْعُدُوْا مَعَهُمْ حَتّٰی یَخُوْضُوْا فِیْ حَدِیْثٍ غَیْرِهٖۤ ۖؗ— اِنَّكُمْ اِذًا مِّثْلُهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ جَامِعُ الْمُنٰفِقِیْنَ وَالْكٰفِرِیْنَ فِیْ جَهَنَّمَ جَمِیْعَا ۟ۙ
१४०. आणि अल्लाहने तुमच्यासाठी आपल्या ग्रंथात (पवित्र कुरआनात) हा आदेश उतरविला आहे की जेव्हा तुम्ही अल्लाहच्या आयतींशी इन्कार आणि थट्टा-मस्करी होत असल्याचे ऐकाल तेव्हा त्यांच्यासोबत त्या बैठकीत बसू नका जोपर्यंत ते दुसऱ्या गोष्टीवर बोलत नाहीत कारण त्या वेळी तुम्ही त्यांच्यासमान ठराल. निःसंशय अल्लाह, मुनाफिकांना आणि इन्कारी लोकांना जहन्नममध्ये एकत्र करणार आहे.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (140) ছুৰা: আন-নিছা
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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