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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (34) ছুৰা: ফুচ্ছিলাত
وَلَا تَسْتَوِی الْحَسَنَةُ وَلَا السَّیِّئَةُ ؕ— اِدْفَعْ بِالَّتِیْ هِیَ اَحْسَنُ فَاِذَا الَّذِیْ بَیْنَكَ وَبَیْنَهٗ عَدَاوَةٌ كَاَنَّهٗ وَلِیٌّ حَمِیْمٌ ۟
३४. आणि सत्कर्म व दुष्कर्म समान असू शकत नाही, वाईट गोष्टीचे भलेपणाने निवारण करा, मग तोच, ज्याच्या व तुमच्या दरम्यान शत्रूता आहे, असा होईल जणू जीवलग मित्र.१
(१) हे मोठे महत्त्वपूर्ण नैतिक मार्गदर्शन आहे की दुराचाराला सदाचाराने टाळा, अर्थात दुराचाराचे उत्तर उपकाराने, अत्याचाराचे क्षमाशीलतेने, क्रोधाचे. धैर्य संयमाने आणि अप्रिय गोष्टींचे, समजावून सांगून दिले जावे अशाने दूरचा जवळ आणि रक्तपिपासू तुमचा चाहता आणि जीवलग दोस्त बनेल.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (34) ছুৰা: ফুচ্ছিলাত
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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