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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (2) ছুৰা: আল-হুজুৰাত
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَرْفَعُوْۤا اَصْوَاتَكُمْ فَوْقَ صَوْتِ النَّبِیِّ وَلَا تَجْهَرُوْا لَهٗ بِالْقَوْلِ كَجَهْرِ بَعْضِكُمْ لِبَعْضٍ اَنْ تَحْبَطَ اَعْمَالُكُمْ وَاَنْتُمْ لَا تَشْعُرُوْنَ ۟
२. हे ईमान राखणाऱ्यांनो! आपला स्वर (आवाज) पैगंबराच्या स्वरापेक्षा उंचावू नका, आणि त्यांच्याशी अशा प्रकारे उंच स्वरात बोलू नका ज्या प्रकारे आपसात एकमेकांशी बोलता. (कदाचित असे न व्हावे) की तुमची कर्मे वाया जावीत आणि तुम्हाला खबरही न व्हावी.१
(१) यात पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) करिता आदर सन्मान राखण्याचे वर्णन आहे, जे प्रत्येक मुसलमानाकडून अपेक्षित आहे.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (2) ছুৰা: আল-হুজুৰাত
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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