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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (11) ছুৰা: আল-হাশ্বৰ
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ نَافَقُوْا یَقُوْلُوْنَ لِاِخْوَانِهِمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَىِٕنْ اُخْرِجْتُمْ لَنَخْرُجَنَّ مَعَكُمْ وَلَا نُطِیْعُ فِیْكُمْ اَحَدًا اَبَدًا ۙ— وَّاِنْ قُوْتِلْتُمْ لَنَنْصُرَنَّكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَشْهَدُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ۟
११. काय तुम्ही त्या दांभिक (मुनाफिक) लोकांना नाही पाहिले, जे आपल्या ग्रंथ बाळगणाऱ्यांमधील काफिर बांधवांना म्हणतात की जर तुम्हाला देशाबाहेर घालविले गेले तर आम्हीही अवश्य तुमच्यासोबत देशत्याग करू आणि तुमच्याविषयी कधीही कोणाचे म्हणणे मान्य करणार नाही आणि जर तुमच्याशी युद्ध केले केले तर निश्चित आम्ही तुमची मदत करू, परंतु अल्लाह साक्ष देतो की हे अगदी खोटारडे आहेत.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (11) ছুৰা: আল-হাশ্বৰ
ছুৰাৰ তালিকা পৃষ্ঠা নং
 
আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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