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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (124) ছুৰা: আল-আনআম
وَاِذَا جَآءَتْهُمْ اٰیَةٌ قَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ حَتّٰی نُؤْتٰی مِثْلَ مَاۤ اُوْتِیَ رُسُلُ اللّٰهِ ؔۘؕ— اَللّٰهُ اَعْلَمُ حَیْثُ یَجْعَلُ رِسَالَتَهٗ ؕ— سَیُصِیْبُ الَّذِیْنَ اَجْرَمُوْا صَغَارٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعَذَابٌ شَدِیْدٌۢ بِمَا كَانُوْا یَمْكُرُوْنَ ۟
१२४. आणि जेव्हा त्यांच्याजवळ एखादी आयत येते तेव्हा म्हणतात की आम्ही कधीही विश्वास ठेवणार नाहीत जोपर्यंत आम्हालाही तशीच आयत दिली जात नाही, जी अल्लाहच्या पैगंबरांना दिली गेली. अल्लाह चांगल्या प्रकारे जाणतो की त्याने आपली पैगंबरी (रिसालत) कोणत्या ठिकाणी राखावी. लवकरच ज्यांनी अपराध केले आहेत, त्यांना अल्लाहच्या ठिकाणी अपमानित व्हायचे आहे आणि जे कट-कारस्थान ते करीत राहिले, त्याचा मोबदला फार मोठा अज़ाब आहे.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (124) ছুৰা: আল-আনআম
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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