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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (130) ছুৰা: আল-আনআম
یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اَلَمْ یَاْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ یَقُصُّوْنَ عَلَیْكُمْ اٰیٰتِیْ وَیُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَآءَ یَوْمِكُمْ هٰذَا ؕ— قَالُوْا شَهِدْنَا عَلٰۤی اَنْفُسِنَا وَغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَشَهِدُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِیْنَ ۟
१३०. हे जिन्न आणि मानवांच्या समूहांनो! काय तुमच्याजवळ तुमच्यामधून रसूल (पैगंबर) नाही आलेत? जे तुमच्यासमोर आमच्या आयती वाचून ऐकवित होते आणि तुम्हाला या (कयामतच्या) दिवसाचा सामना करण्याबाबत सचेत करीत राहिले. ते म्हणतील, आम्ही स्वतःविरूद्ध साक्षी आहोत आणि ऐहिक जीवनाने त्यांना धोक्यात ठेवले आणि ते स्वतःविरूद्धच साक्ष देतील की ते काफिर (इन्कारी) होते.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (130) ছুৰা: আল-আনআম
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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