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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (25) ছুৰা: আল-আনআম
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُ اِلَیْكَ ۚ— وَجَعَلْنَا عَلٰی قُلُوْبِهِمْ اَكِنَّةً اَنْ یَّفْقَهُوْهُ وَفِیْۤ اٰذَانِهِمْ وَقْرًا ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءُوْكَ یُجَادِلُوْنَكَ یَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
२५. त्यांच्यापैकी काहीजण तुमच्याकडे कान लावून बसतात आणि आम्ही त्यांच्या हृदयांवर पडदे टाकून ठेवले आहेत की त्यास समजावे आणि त्यांचे कान बधीर आहेत आणि सर्व निशाण्या त्यांनी पाहून घेतल्या तरीही त्यांच्यावर ईमान राखणार नाहीत, येथपर्यंत की जेव्हा ते तुमच्याजवळ येतात, भांडण करतात, ईमान न राखणारे म्हणतात की या सर्व थोर बुजूर्ग लोकांच्या कथा-कहाण्या आहेत.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (25) ছুৰা: আল-আনআম
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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