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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (148) ছুৰা: আল-আ'ৰাফ
وَاتَّخَذَ قَوْمُ مُوْسٰی مِنْ بَعْدِهٖ مِنْ حُلِیِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌ ؕ— اَلَمْ یَرَوْا اَنَّهٗ لَا یُكَلِّمُهُمْ وَلَا یَهْدِیْهِمْ سَبِیْلًا ۘ— اِتَّخَذُوْهُ وَكَانُوْا ظٰلِمِیْنَ ۟
१४८. आणि मूसाच्या जनसमूहाने त्यांच्या पश्चात आपल्या दागिन्यांनी एक वासरू बनवून त्याला उपास्य दैवत बनविले, जो एक आकार मात्र होता ज्यात एक आवाज (ध्वनी) होता. काय त्यांनी हे नाही पाहिले की ते (वासरू) त्यांच्याशी बोलतही नव्हते आणि ना त्यांना मार्गदर्शन करीत होते त्याला त्यांनी (दैवत) बनविले आणि मोठे अन्यायाचे कृत्य केले.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (148) ছুৰা: আল-আ'ৰাফ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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