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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (34) ছুৰা: আল-আনফাল
وَمَا لَهُمْ اَلَّا یُعَذِّبَهُمُ اللّٰهُ وَهُمْ یَصُدُّوْنَ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَمَا كَانُوْۤا اَوْلِیَآءَهٗ ؕ— اِنْ اَوْلِیَآؤُهٗۤ اِلَّا الْمُتَّقُوْنَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
३४. आणि त्यांच्यात असे काय आहे की, अल्लाहने त्यांना शिक्षा न द्यावी? असे असतानाही की ते लोकांना मसजिदे हराम (काबागृहा) पासून रोखतात, वास्तविक ते या मस्जिदीची देखभाल करणारे नाहीत. तिचे संरक्षक अल्लाहच्या आज्ञधारक दासांखेरीज कोणीही नाही, परंतु त्यांच्यातले अधिकांश लोक हे जाणत नाहीत.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (34) ছুৰা: আল-আনফাল
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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