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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী * - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ


অৰ্থানুবাদ আয়াত: (109) ছুৰা: আত-তাওবাহ
اَفَمَنْ اَسَّسَ بُنْیَانَهٗ عَلٰی تَقْوٰی مِنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانٍ خَیْرٌ اَمْ مَّنْ اَسَّسَ بُنْیَانَهٗ عَلٰی شَفَا جُرُفٍ هَارٍ فَانْهَارَ بِهٖ فِیْ نَارِ جَهَنَّمَ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
१०९. मग काय असा मनुष्य अधिक चांगला आहे, ज्याने आपल्या इमारतीचा पाया अल्लाहचे भय राखण्यावर आणि अल्लाहची प्रसन्नता प्राप्त करण्यावर ठेवला असेल किंवा तो मनुष्य, ज्याने आपल्या घराचा पाया एखाद्या उतार असलेल्या दरीच्या (घाटाच्या) किनाऱ्यावर, जी कोसळण्याच्या बेतात असावी, त्यावर रचला असेल; मग तो त्यासह जहन्नमच्या आगीत जाऊन पडावा आणि सर्वश्रेष्ठ अल्लाह अशा अत्याचारींना मार्ग दाखवित नाही.
আৰবী তাফছীৰসমূহ:
 
অৰ্থানুবাদ আয়াত: (109) ছুৰা: আত-তাওবাহ
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আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - মাৰাঠী অনুবাদ- মুহাম্মদ শ্বফী আনচাৰী - অনুবাদসমূহৰ সূচীপত্ৰ

ইয়াক অনুবাদ কৰিছে মুহাম্মদ শ্বাফী আনচাৰী।

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